रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में कांग्रेस ने भावी एक्शन प्लान की समीक्षा के साथ वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की मौजूदगी में सभी चुनावी समितियों को टास्क भी सौंप दिए गए हैं। बीते छह माह की समीक्षा के दौरान ज्यादातर समितियों ने 60 फीसदी से अधिक रणनीतियों को पूरा कर लिया है। पहली बार विपक्ष की रणनीतिक कवायदों में तेजी नजर आ रही है। इसके पीछे प्रभारी के लगातार दौरे और संगठनात्मक समीक्षा को माना जा रहा है।
पिछली बार प्रभारी रहे वरिष्ठ नेता को लेकर असंतोष हावी था। वहीं कई जिलों में प्रभारी की कार्यकर्ताओं से दूरियोंं की शिकायतें थी। दिल्ली दरबार को भी इसकी जानकारी थी। यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के मिशन और हालातों को भांपते हुए यहां लो-प्रोफाइल में रहकर रणनीति आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। इस मामले में अजा आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके पुनिया को प्रभारी बनाकर भेजा है।
लगातार दौरे के बाद से ही प्रदेश में कांग्रेस ने आश्चर्यजनक तौर पर 90 सीटों में बूथ मिशन भी पूरा कर लिया है। जबकि एक वर्ष से भी कम समय के अंतराल में इसे पूरा करने में सफलता मिली है। प्रेक्षकों का मानना है कि इतनी कम अवधि में सभी सीटों में संकल्प शिविरों के प्रशिक्षण के साथ बूथ और अनुभाग कमेटियों की तैयारियों में व्यवहारिक तौर पर मुश्किलें थी।
संगठनात्मक नजरिए से भी यह संभव नजर नहीं आ रहा था। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद छत्तीसगढ़ में संभावनाएं टटोलने के बाद प्राथमिकता में लेकर प्रदेश इकाई के ब्लूप्रिंट का अध्ययन किया। वहीं प्रभारी को सभी सीटों की मानिटरिंग के साथ बूथ कमेटियों के गठन की प्रक्रिया पूरा करने के निर्देश दिए। अब चुनाव के छह माह पहले ही कमेटियों के गठन से संगठन को बड़ी ताकत मिली है। इसके लिए भी प्रभारी समेत दो प्रभारी सचिवों की सक्रियता को अहम माना जा सकता है।
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