सुप्रीम कोर्ट ने केरल में हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के के निकाह मामले में अभूतपूर्व आदेश सुनाते हुए अखिला अशोकन उर्फ हादिया को 27 नवम्बर को अदालत में पेश करने को कहा है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मुस्लिम युवक शफीन जहां की याचिका की सुनवाई के दौरान लड़की के पिता एवं मामले के प्रतिवादी के. एम. अशोकन को आदेश दिया कि वह 27 नवम्बर को अगली सुनवाई के दौरान युवती अखिला अशोकन उर्फ हादिया (धर्म परिवर्तन के बाद) को पेश करें। वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की की सहमति प्राथमिक है क्योंकि वह बालिग है।
आपको बता दें कि केरल में साल 2016 में एक हिंदू लड़की ने अपने माता-पिता की रजामंदी के बगैर ही एक मुस्लिम लड़के से प्रेम विवाह किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पिता की याचिका पर मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी। केरल हाईकोर्ट ने इस निकाह को रद्द कर दिया था।
क्या है पूरा मामला?
केरल की अखिला अशोकन ने दिसंबर में एक मुस्लिम शख्स शफीन से निकाह कर लिया था, लेकिन इसके लिए अखिला ने अपना धर्म परिवर्तन किया और अपना नाम हादिया रख लिया। इसके बाद ही मामले ने तूल पकड़ा। केरल हाईकोर्ट ने 25 मई को हिंदू महिला अखिला अशोकन की शादी को रद्द कर दिया था। इन सबके बीच लड़की के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया है कि उनकी बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है।
याचिका में कहा गया है कि उनकी बेटी का धर्म जबरन बदलवाया और अफगानिस्तान में उसे आईएस में शामिल करने के लिए ऐसा किया गया है। याचिकाकर्ता बिंदू संपथ ने कहा कि उनकी बेटी लव जिहाद के जाल में फंस गई है। उन्होंने कहा कि लड़की अभी कॉलेज में पढ़ रही थी और वह आईएस के शिकंज में फंस गई। वहीं इस मामले की एनआईए ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि कुछ शादियां जबरन धर्म परिवर्तन कराकर कराई गई थीं। हालांकि एनआईए ने कहा कि वह अखिला उर्फ हादिया से पूछताछ नहीं कर सकी है।