ED के पांचवें समन पर भी नहीं हाजिर हुए हेमंत सोरेन, वकील ने पत्र लिखकर कहा- हाईकोर्ट का फैसला आने तक न करें कार्रवाई - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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ED के पांचवें समन पर भी नहीं हाजिर हुए हेमंत सोरेन, वकील ने पत्र लिखकर कहा- हाईकोर्ट का फैसला आने तक न करें कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पांचवें समन पर भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एजेंसी के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए। जमीन घोटाले और संपत्ति से जुड़े ब्योरों पर पूछताछ के लिए ED ने उन्हें बुधवार को रांची स्थित जोनल कार्यालय में उपस्थित होने को कहा था, लेकिन वह झारखंड के पलामू में राज्य सरकार की ओर से स्थापित एक डेयरी प्लांट के उद्घाटन समारोह में भाग लेने चले गए।

इस बीच हेमंत सोरेन की ओर से उनके अधिवक्ता ने ED के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा को पत्र लिखकर कहा है कि चूंकि ED के समन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई है। यह मामला कोर्ट में विचारणीय है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि कोर्ट का फैसला आने तक सीएम को जारी समन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। ED को भेजे गए पत्र में सीएम के अधिवक्ता ने कहा है कि वह कानून का पालन करने वाले भारत के जिम्मेदार नागरिक हैं और कोर्ट के आदेश का अनुपालन करेंगे।

बता दें कि ED ने हेमंत सोरेन को अब तक पांच बार समन भेजकर 14 अगस्त, 24 अगस्त, 9 सितंबर, 23 सितंबर और 4 अक्टूबर को पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा था। वह इनमें से किसी समन पर उपस्थित नहीं हुए, लेकिन हर बार समन के जवाब में उन्होंने ED को पत्र के जरिए जवाब दिया। ED के समन पर रोक की मांग को लेकर सोरेन ने हाईकोर्ट में दायर य़ाचिका में ED की शक्तियों को चुनौती दी है। इसके पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर क्रिमिनल रिट पिटीशन दायर किया था, लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली थी।

18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन की याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद 23 सितंबर को सोरेन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। उन्होंने याचिका में PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता पर सवाल उठाया है। इसमें कहा गया है कि जांच एजेंसी को धारा 50 के अंतर्गत बयान दर्ज कराने या पूछताछ के दौरान ही किसी को गिरफ्तार कर लेने का अधिकार है। इसलिए समन जारी करने के बाद गिरफ्तारी का डर बना रहता है।

 

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