भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट एडबेस्टन में शुरू हो चुका है। इस मैच के लिए विराट कोहली ने जो टीम चुनी है उसमें एक नाम जो होना चाहिए था, वो नहीं है। हम बात कर रहे हैं चेतेश्वर पुजारा की। पुजारा को सिर्फ टेस्ट स्तर का बल्लेबाज ही कहा जाता रहा है। उनके पास ठोस तकनीक और धैर्य हैं, जो टेस्ट मैचों के लिए सबसे जरूरी चीज हैं। राहुल द्रविड़ के सन्यास लेने के बाद पुजारा की बैटिंग को देखकर कहा जाता था कि टीम इंडिया को ‘नई दीवार’ मिल गई है। कोहली ने पुजारा की जगह केएल राहुल को अंतिम ग्यारह में शामिल किया।
इस टेस्ट से एक दिन पहले विराट ने कहा था कि वह अपनी टीम का चयन ‘गट फीलिंग’ (मन की आवाज) के आधार पर करते हैं। एक दिन बाद ही उन्होंने जब पहले इंग्लिश टेस्ट में अपनी टीम उतारी, तो इससे चेतेश्वर पुजारा बाहर थे। प्लेइंग XI में पुजारा का नाम न देखकर बड़े-बड़े दिग्गज हैरान थे।
यह सही है कि 50.34 की औसत से खेलने वाले पुजारा इन दिनों अच्छी लय में नजर नहीं आ रहे। लेकिन यह भी उतना ही सही है कि पुजारा की जगह जिन्हें (शिखर धवन) टीम में खेलने का मौका मिला है, उन्होंने भी कुछ बहुत हैरतअंगेज काम नहीं किया।
बिल्कुल आप यह बहस कर सकते हैं कि केएल राहुल को तो इस टीम में मौका मिलना ही चाहिए था, लेकिन राहुल को यह मौका पुजारा के स्थान पर नंबर 3 के लिए नहीं बल्कि शिखर की जगह बतौर ओपनर दिया जा सकता था। जिन्हें साउथ अफ्रीका दौरे पर भी 2 टेस्ट में ओपनिंग पर खिलाया गया था।
लेकिन अपने फैसलों से हमेशा हैरान करने वाले कोहली ने एक बार फिर शिखर को प्लेइंग XI में मौका दिया और नंबर 3 पर पुजारा से समझौता किया। कोहली के इस फैसले ने एक बार फिर कई सवाल खड़े किए हैं। भले ही एजबेस्टन की पिच फ्लैट ट्रैक हो, लेकिन इंग्लैंड नया बॉल हमेशा ही हरकत करता है, तो ऐसे में कोहली ने फैसले पर सवाल उठना लाजमी है कि विदेशों में 25.75 की टेस्ट औसत से खेलने वाले धवन के पास क्या हरकत करती बॉल को खेलने की तकनीक मिल गई है?
इससे पहले जब टीम इंडिया साउथ अफ्रीका दौरे पर थी, तब भी कोहली ने अपनी ‘गट फीलिंग’ दिखाई थी, तब उन्होंने 3 टेस्ट की सीरीज के पहले 2 टेस्ट में उपकप्तान अजिंक्य रहाणे को बाहर बिठाया था और उनकी जगह रोहित शर्मा को मौका दिया था। इस फैसले जो टेस्ट सीरीज का जो परिणाम आया वह निराशाजनक ही था।