चंदा मामा की गोद में बैठा प्रज्ञान रोवर एक के बाद एक चांद के साउथ पोल के रहस्यों को दुनिया के सामने ला रहा है। जी हाँ, चंद्रमा की सतह पर नए-नए प्रयोग कर रहे विक्रम लैंडर ने अब चांद पर प्राकृतिक कंपन या हलचल की गतिविधि को रिकॉर्ड किया है।
चंद्रमा पर आए प्राकृतिक भूकंप को रिकॉर्ड किया गया
इसको लेकर ISRO ने अपने लेटेस्ट अपडेट में बताया है कि चंद्रमा पर आए प्राकृतिक भूकंप को रिकॉर्ड किया गया है। इसे चंद्र भूकंपीय गतिविधि (ILSA) पेलोड ने दर्ज किया है।
ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम जो अभी सतह पर काम कर रहा है, ने चंद्रमा पर भूकंपन की घटना के बारे में पता लगाया है। इसको लेकर प्रज्ञान रोवर और अन्य पेलोड ने भी डेटा भेजा है और जिसको लेकर अब घटना को लेकर जांच की जा रही है।
ISRO के अनुसार, इस घटना के सोर्स की जांच की जा रही है। एजेंसी ने बताया कि ILSA पेलोड चंद्रमा पर पहला माईक्रो इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी बेस्ड उपकरण है। जिसका निर्माण एलईओएस, बैंगलोर द्वारा डिजाइन और कार्यान्वित किया गया है और तैनाती तंत्र यूआरएससी, बैंगलोर द्वारा इसे विकसित किया गया है।
एक्स पोस्ट में ISRO ने रोवर की एक्टीविटीज से जुड़ा एक चार्ट भी किया शेयर
आपको बता दे कि अपने एक्स पोस्ट में ISRO ने रोवर की एक्टीविटीज से जुड़ा एक चार्ट भी शेयर किया है।
Chandrayaan-3 Mission:
In-situ Scientific ExperimentsRadio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive Ionosphere and Atmosphere – Langmuir Probe (RAMBHA-LP) payload onboard Chandrayaan-3 Lander has made first-ever measurements of the near-surface Lunar plasma environment over the… pic.twitter.com/n8ifIEr83h
— ISRO (@isro) August 31, 2023
साथ ही आपको बता दें कि चार पेलोड्स रंभा, चास्टे, इल्सा और एरे अहम जानकारी जुटाने के चंद्रयान के साथ चंद्रमा पर भेजे गए हैं। वही , बात करें ILSA की तो इसका प्रमुख उद्देश्य मिशन के दौरान चांद पर प्राकृतिक भूकंपों और कृत्रिम घटनाओं के जरिए पैदा हुए सतह के कंपन को मापना है।
ISRO ने आगे बताया कि ILSA ने 26 अगस्त को इसी तरह का भूकंपन रिकॉर्ड किया है। अब इसके बारे में जांच की जा रही है और पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या यह भूकंप था या फिर कुछ और?
उपकरण ने 26 अगस्त को यह घटना रिकॉर्ड की
वही बता दे कि उपकरण ने 26 अगस्त को यह घटना रिकॉर्ड की है। जो स्वाभाविक प्रतीत हो रही है। हालांकि, ISRO ने यह भी कहा कि इस घटना के स्रोत की जांच की जा रही है। ISRO के मुताबिक ILSA का उद्देश्य प्राकृतिक भूकंपों, उसके प्रभावों और कृत्रिम घटनाओं के चलते सतह पर होने वाले कंपन को मापना है।
चंद्रयान-3 मिशन के मिशन रहे सफल
साथ ही ऐसा तब हुआ जब ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के दो या तीन मिशन सफल रहे। पहले 2 मिशन- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन, और चंद्रमा पर रोवर आंदोलन का प्रदर्शन- सफल रहे हैं। जबकि तीसरा मिशन, जो चंद्रमा पर इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग है, जो वर्तमान में चल रहा है।
आपको बता दे कि इस मिशन ने भारत को चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला चौथा देश बना दिया, और चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला देश बना दिया।