#MeToo अभियान पीड़िताओं के लिए है, इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए : उच्च न्यायालय  - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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#MeToo अभियान पीड़िताओं के लिए है, इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए : उच्च न्यायालय 

मुम्बई : बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि # मी टू अभियान केवल पीड़िताओं के लिए है और किसी को भी इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति

मुम्बई : बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि # मी टू अभियान केवल पीड़िताओं के लिए है और किसी को भी इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति एस जे कथावाला ने यह टिप्पणी निर्देशक विकास बहल द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान की। कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘‘क्वीन’’ के निर्देशक बहल ने अदालत से उनके खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के मामले में मीडिया या सोशल मीडिया पर कोई भी और बयान देने से अपने पूर्व साझेदारों निर्देशकों अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी और निर्माता मधु मंटेना को रोकने संबंधी अंतरिम निर्देश दिये जाने का भी आग्रह किया है।

एक महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि 2015 में बहल ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। बहल ने कश्यप और मोटवानी के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की मानहानि का एक मामला भी दर्ज किया है। बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि महिला को मामले में एक प्रतिवादी बनाया जाये। वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सेरवई शुक्रवार को महिला की ओर से पेश हुए और अदालत को बताया कि वह (महिला) मुकदमे का हिस्सा बनने की इच्छुक नहीं है। सेरवई ने कहा,‘‘वह मामले को आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं है। वह इस झगड़े में नहीं पड़ना चाहती है।’’

न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा कि जब महिला मामले को आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं है तो किसी को इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए।  अदालत ने कहा,‘‘हम नहीं चाहते कि कोई भी अपने हित साधने के लिए महिला का इस्तेमाल करे।’’ उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि #मी टू अभियान प्रशंसनीय है लेकिन किसी को भी इसका दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा,‘‘इस अभियान का दुरूपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह पीड़िताओं के लिए है, किसी और के लिए नहीं है। यही कारण है कि इस मुद्दे पर दिशानिर्देश बनाये जाने की आवश्यकता है।’’ अदालत ने महिला को 23 अक्टूबर को एक हस्ताक्षरित बयान सौंपने के भी निर्देश दिये जिसमें कहा जाये कि वह मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है।

फैंटम फिल्म्स की स्थापना 2011 में कश्यप, मोटवानी, बहल तथा निर्माता मधु मंटेना ने की थी। कंपनी द्वारा बनाई गई फिल्मों में ‘‘लुटेरा’’, ‘‘हंसी तो फंसी’’ और ‘‘क्वीन’’ शामिल हैं। मी टू अभियान के बीच फैंटम फिल्म्स की एक पूर्व कर्मचारी द्वारा बहल का नाम लिये जाने के तुरन्त बाद कश्यप और मोटवानी ने इस प्रोडक्शन हाउस को भंग करने का फैसला किया था। एक अज्ञात महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि बहल ने 2015 में ‘‘बाम्बे वेलवेट’’ फिल्म के प्रोमोशनल टूर के दौरान गोवा में उसका यौन उत्पीड़न किया था।

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