देश के चुनावी रणनीतिकार के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली में हुई मुलाकात को लेकर एक बार फिर ये कयास लगाया जा रहा है कि प्रशांत किशोर की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में वापसी हो सकती है।
हालांकि दोनों के बीच हुई मुलाकात के बाद सीएम नीतीश कुमार ने ये स्पष्ट किया कि उनका प्रशांत किशोर से पुराना रिश्ता है। इसी नाते ये मुलाकात हुई। वहीं प्रशांत किशोर ने इस मुलाकात को लेकर कहा कि बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना संक्रमित हो गए थे। उसके बाद वे पहली बार दिल्ली आए हैं। लिहाजा उनसे मुलाकात करने गए थे। इसके अलावा और कोई बात नहीं।
बिहार और झारखंड एक ही रहा है। दोनों राज्यों का रिश्ता अलग नहीं है-नीतीश
इस बीच नीतीश कुमार ने झारखंड में भोजपुरी और मगही भाषा पर उपजे विवाद को लेकर शनिवार को कहा कि बिहार और झारखंड एक ही रहा है। दोनों राज्यों का रिश्ता अलग नहीं है। दोनों राज्यों के लोगों का रिश्ता आज भी एक ही है। नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों राज्यों के बॉर्डर पर देख लीजिए लोग कैसे साथ रहते हैं। भोजपुरी और मगही को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि पता नहीं झारखंड सरकार ऐसा क्यों कर रही है। ये झारखंड सरकार के लिए ही नुकसानदायक है। झारखंड में भोजपुरी और मगही तो बोली ही जाती रही है।
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ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे हैं प्रशांत किशोर, लेकिन
गौरतलब है कि इन दिनों प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख और प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे हैं लेकिन ये जगजाहिर है कि अब ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आ रही हैं। नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की इस मुलाकात को लेकर इसलिए भी बेहद अहम माना जा रहा है। क्योंकि ममता बनर्जी और अमरिंदर सिंह के सहयोगी रहने से पहले प्रशांत किशोर जेडीयू में रह चुके हैं।
नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया था
दरअसल जेडीयू में शामिल होने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया था। पर कुछ समय बाद ही जदयू के वरिष्ठ नेताओं से प्रशांत किशोर की खटपट हो गई। रिश्तों में आई खटास के बाद प्रशांत किशोर ने जदयू का साथ छोड़ दिया था।
पुराने रिश्ते को बेहतर करने के प्रयास में जुट गए हैं प्रशांत किशोर
इस मुलाकात के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि प्रशांत किशोर एक बार फिर पुराने रिश्ते को बेहतर करने के प्रयास में जुट गए हैं। प्रशांत किशोर ने साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस) के प्रचार की कमान संभाल ली थी और इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2017 में उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये काम कर चुके हैं।