नेपाल में बहुत सारे शिक्षक नए कानून से नाराज़ थे। इसलिए, उन्होंने राजधानी शहर में विरोध प्रदर्शन करके अपनी असहमति दिखाने का फैसला किया। इसके चलते स्कूलों को एक दिन के लिए बंद करना पड़ा। शिक्षक नेताओं से बात कर रहे हैं कि वे कानून को बदलने का प्रयास करें ताकि यह उनके और उनकी नौकरियों के लिए बेहतर हो। नेपाल की संसद में शिक्षा सुधार विधेयक लाये जाने के विरोध में यहां हजारों शिक्षकों ने प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से शुक्रवार को स्कूल बंद रहे। शिक्षक संबंधित विधेयक के खिलाफ बुधवार से राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि उनके संगठन कानून में बदलाव को लेकर नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। शिक्षक उन प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं, जो सरकार- संचालित स्कूलों को स्थानीय नियंत्रण में दे देंगे। शिक्षकों का कहना है कि इससे उनकी स्थिति कमतर होगी और इससे कई अस्थायी शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे।
अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया
शिक्षकों ने संसद भवन से प्रमुख मंत्रालयों तक जाने वाली मुख्य सड़क को अवरुद्ध कर दिया, जिससे राजधानी के मध्य में यातायात बाधित हो गया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए तैनात सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने संसद की ओर जाने वाली सड़क को कंटीले तारों वाले बैरिकेड्स से अवरुद्ध कर दिया। शिक्षकों ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे काठमांडू में और अधिक प्रदर्शनकारियों को ले आएंगे।
केंद्र सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले एक हाईस्कूल शिक्षक बद्री ढुंगेल ने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग यह है कि शिक्षकों को किसी भी अन्य सरकारी पेशेवरों की तरह केंद्र सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए, न कि स्थानीय अधिकारियों के नियंत्रण में जो कि राजनीति से नियंत्रित होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोक सेवकों की तरह समान वेतन, दर्जा, अन्य सुविधाएं और लाभ मिलने चाहिए। शिक्षकों के विरोध के कारण देशभर में लाखों छात्रों वाले लगभग 29,000 ‘पब्लिक स्कूल’ बंद रहे, जबकि ‘प्राइवेट स्कूल’ खुले रहे।