Bhim Shila Kedarnath: महादेव की रक्षा करने 2013 तबाही के बीच खुद आए थे भीम? जानें भक्ति और रहस्य की कहानी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Bhim Shila Kedarnath: महादेव की रक्षा करने 2013 तबाही के बीच खुद आए थे भीम? जानें भक्ति और रहस्य की कहानी

आज भी, वह चट्टान केदारनाथ मंदिर के पीछे, आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के पास खड़ी है। आज लोग इसकी पूजा करते हैं। इस शिला के मंदिर के पास रुकने और मंदिर की रक्षा करने करने वाले बात से सभी हैरान है।

Main Highlights

  • आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के पास होना 
  • मंदिर ने कैसे बचाई कई लोंगो की जान 
  • भीम शिला से जुडी मान्यताएं 
  • उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ साल 2013
अभी देश भर में सावन का पावन महीना चल रहा है। इस महीने में भक्त देवों के देव महादेव की भक्ति में डूबे हुए रहते है। इस दुनिया में भक्ति की कई ऐसी कहानी है जो आप सुनते होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कहानी जिसमें भक्ति है, रहस्य है और लोगों का विश्वास है उसके बारें में बताने वाले है। 
हां हम बात कर रहें है साल 2013 में केदारनाथ में आए आपदा के बारें में, इस प्रकृति आपदा में कई लोगों की मौत हो गई थी आज भी उसकी याद सभी के बीच ताजा है पर कई ऐसे लोग थे जिन्होंने केदारनाथ मंदिर के अंदर शरण ली थी, जिस कारण वो सभी आज इस दुनिया में हैं।
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उस साल की याद आज भी हम भुल नहीं सकते पर उसी साल की एक ऐसी शिला जो सालों-साल तक सभी को भगवान और भक्ति पर विश्वास करने की ओर प्रेरित करेगी। 2013 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान केदारनाथ मंदिर के पास एक बहुत बड़ा चमत्कार हुआ, माना जाता है कि अगर ऐसा नहीं होता तो मंदिर आज किसी को भी उस जगह पर देखने को नहीं मिलती। बाढ़ के कारण हुए विनाश के बावजूद, मंदिर एक बड़ी चट्टान के कारण आज भी उसी जगह पर है, चट्टान जिसे अब भीम शिला के नाम से जाना जाता है जो इसके पीछे रुक गई थी।

मंदिर ने बचाई कई लोंगो की जान 
बाढ़ के दौरान, मंदिर को तेज पानी, रेत, चट्टानों और कीचड़ से घिरने का खतरा था। पर जब विशाल चट्टान ने खुद को मंदिर के पीछे रोक लिया, तो उसने एक बड़े बाधा के रूप में काम किया, बाढ़ की पानी की ताकत को बाट दिया, जिससे बाढ़ को पानी मंदिर को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया। इस सौभाग्यशाली घटना से लगभग 300-500 लोगों की जान बचाई, उस समय जिन्होंने मंदिर के अंदर आश्रय लिया था। 
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भीम शिला से जुडी मान्यताएं 
चट्टान की उस जगह पर उपस्थिति और मंदिर की सुरक्षा करने वाले इस विशाल शिला ने कई बातों को जन्म दिया। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि भीम शिला को शुरुआत में हिंदू महाकाव्य महाभारत के पौराणिक नायकों, पांडवों द्वारा रखा गया था। 
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ऐसा माना जाता है कि पांडव भाइयों में से एक भीम ने इस स्थान पर भगवान शिव ( केदार बाबा ) का पीछा किया था, और यह चट्टान उनकी गदा गाड़कर भगवान शिव के मंदिर को बचाने के उनके कार्य का प्रतीक है। भीम से इस संबंध के कारण ही इसे भीम शिला कहा जाता है।
आज भी, वह चट्टान केदारनाथ मंदिर के पीछे, आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के पास खड़ी है। आज लोग इसकी पूजा करते हैं। इस शिला के मंदिर के पास रुकने और मंदिर की रक्षा करने करने वाले बात से सभी हैरान है। इसे मंदिर के प्रतीक विश्वास और विनाशकारी बाढ़ के दौरान हुई चमत्कारी घटनाओं की याद दिलाने वाला माना जाता है।

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