ज्योतिष शास्त्र में प्रेम विवाह के लिए कई उपायों के बारे में बताया गया है। यदि इन उपाय को सही तरीके और सच्चे मन से किया जाए तो फल जरुर मिलता है।
हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसे ऐसा लाइफ पार्टनर मिले, जिसे वे पसंद करता है या फिर प्यार करता है पर कई बार घरवाले इन रिश्तों को स्वीकार नहीं करते साथ कई बार कुछ ना कुछ अड़चन विवाह में देरी करा देती है।ऐसे में ज्योतिष आपकी मदद कर सकता हैं यहां बताए गए कुछ उपायों की मदद से शादी में आ रही समस्या खत्म हो जाती है और शीघ्र ही विवाह के योग बनते हैं। तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।
कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश विवाह का स्थान होता है। पंचम भाव के स्वामी चंद्र देव हैं और सप्तम भाव के स्वामी सप्तम हैं। जब यह योग बनते हैं तब प्रेम विवाह होता है। इसके लिए आप पंचमेश के स्वामी चंद्र को प्रसन्न करने के लिए मोती धारण करें। ऐसा करने से कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनेगा और आपकी इच्छा पूरी होगी।
सबसे पहला उपाय प्रेम विवाह के लिए यह है कि आप भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति के सामने शुक्ल पक्ष में गुरुवार के दिन ॐ लक्ष्मी नारायण नम: मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप स्फटिक की माला से करना ज्यादा लाभकारी साबित होगा।
भगवान की सच्चे मन से अराधना करें और तीन महीने तक हर गुरुवार मंदिर में जाकर भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और फिर लोगों में बांटे।साथ ही भगवान कृष्ण के मंदिर में बांसुरी और पान को अर्पित करने से प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
विवाह के इच्छुक युवक-युवतियां हर रोज मंदिर जाकर शिव-पार्वती की पूजा करें, ऐसा करने से विवाह में हो रही देरी के ग्रह दूर होते हैं। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर ही पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर होती है।
यदि किसी युवक या युवती के विवाह में बाधा आ रही है तो उसे शीघ्र विवाह के लिए प्रत्येक गुरुवार और पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ की कम से कम 108 परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। इसके साथ यदि संभव हो तो बरगद, पीपल और केले के पेड़ को जल देकर उनका आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।