उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपने पड़सियों के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद का संचालन करने की अपनी दीर्घकालिक नीति को उचित ठहराने के लिए नाम शिखर सम्मेलन के दुरुपयोग के वास्ते शुक्रवार को पाकिस्तान पर निशाना साधाते हुए उस पर करारा प्रहार किया।
श्री नायडू ने यहां 18 वें नाम (एनएएम) शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में खेद व्यक्त किया कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने अगस्त फोरम का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा,‘‘वास्तव में हम इस व्यापक क्षेत्र में पाकिस्तान के व्यवहार पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं।’’
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास पाने के लिए पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,‘‘इसे (पाकिस्ताने को) अपने पड़सियों के लिए और दुनिया की भलाई के वास्ते निर्णायक रूप से आतंकवाद को खत्म करना चाहिए।’’
श्री नायडू ने 21 वीं सदी की समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार करके एक न्यायसंगत और प्रतिनिधि आधारित वैश्विक शासन प्रणाली हासिल करने का भी आह्वान किया।
उन्होंने सभी नाम देशों से आतंक के सभी रुपों के खिलाफ एक आम मोर्चा बनाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिंसक चरमपंथी विचारधाराओं और आतंकवादी कार्रवाइयों का कोई औचित्य नहीं है जो मासूमों और निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं।
यह इंगित करते हुए कि समकालीन खतरे कोई सीमा नहीं है, चाहे वह आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, महामारी, वित्तीय संकट या साइबर सुरक्षा हो, श्री नायडू ने कहा कि आतंकवाद ना केवल अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ही सबसे विनाशकारी खतरा है बल्कि उन सिद्धांतों पर भी जिसपर आज हम चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,‘‘ आतंकवादी संगठनों के नुकसान पहुंचाने की क्षमता सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के साथ कई गुना बढ़ गई है और इससे आतंकवादी संगठनों को आक्रामक साइबर क्षमताएं दी जा रही हैं।’’ श्री नायडू ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों से निपटने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों एवं तंत्रों को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा कि नाम भागीदारों को अंतर-एजेंसी समन्वय को आगे बढ़ते हुए एक आम मोर्चा बनाना चाहिए, सूचना का आदान-प्रदान करना चाहिए और वर्ष 1996 में भारत की ओर से प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) का समर्थन करके मौजूदा कानूनी ढांचे को मजबूत करना चाहिए।
एजेंडे को आगे बढ़ने की इच्छा रखता है। उन्होंने कहा,‘‘हमें विश्वास है कि नाम इन साझा उद्देश्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’’ श्री नायडू ने 18वें नाम शिखर सम्मेलन के इतर शुक्रवार को यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी, वियतनाम की उपराष्ट्रपति डी टी एन तिन्ह और क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज कैनल बर्मुडेज से मुलाकात की और उनके साथ विचार-विमर्श किया।
उपराष्ट्रपति ने तीनों नेताओं के साथ अपनी बातचीत के दौरान अफगानिस्तान, वियतनाम और क्यूबा के साथ सभी क्षेत्रों में भारत के घनिष्ठ संबंधों को और गहरा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।