बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अलग-अलग गठबंधनों के साथ चुनाव मैदान में उतरी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) और जनता दल (यूनाइटेड) के साथ आने की संभावना बढ़ गई है। रालोसपा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने इसी महीने पार्टी के राज्य परिषद की बैठक बुलाई है, जिसके बाद माना जा रहा है कि रालोसपा के जदयू में विलय की औरपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। रालोसपा के जदयू में विलय की अटकलों के बीच सोमवार को एकबार फिर जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बीच चर्चा हुई है। ये दोनों नेता पटना के एक अस्पताल में साथ ही कोरोना का टीका लेने पहुंचे थे।
सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच आधे घंटे तक राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। इन दोनों नेताओं की बढ़ी नजदीकियों और कोरोना का टीका लेने के बाद दोनों नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि दोनों दल धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों नेताओं ने अपने-अपने बयानों में इशारा करते हुए कहा है कि दोनों कभी अलग हुए ही नहीं हैं। ऐसे में तय है कि अब रालोसपा का जदयू में विलय की केवल औपचारिकता निभाई जानी शेष है। उपेंद्र कुशवाहा के नजदीकी एक नेता ने बताया, रालोसपा के शीर्ष नेतृत्व ने जदयू के साथ पार्टी का विलय करने का मन बना लिया है। पार्टी की राष्ट्रीय और राज्य परिषद की बैठक में कुछ औपचारिकताएं 13 मार्च को पूरी होंगी और इसके बाद किसी भी समय पार्टी का जदयू में विलय हो जाएगा।
बता दें कि रालोसपा प्रमुख ने 13 और 14 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय और राज्य परिषद की एक बैठक पटना में बुलाई है, जिसमें संभावना जताई जा रही है कि भविष्य को लेकर चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद कुशवाहा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी दो बार मिल चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में रालोसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि जदयू राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। जदयू नेतृत्व विधानसभा चुनाव के बाद से ही अपने कुनबे को बढ़ाने और जातीय समीकरण दुरूस्त करने में जुटी है। रालोसपा के विलय को लेकर भी जदयू कोईरी वोट को साधने में जुटी है। कहा जाता है कि कुशवाहा के अपने जातीय मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है और जदयू के निशाने पर यही मतदाता हैं।
रालोसपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष संतोष कुशवाहा ने कहा, पार्टी ने 13 मार्च और 14 मार्च को पटना में अपने सभी वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है। संभावना है कि भविष्य को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता विचार करेंगे और आगे की रणनीति तय की जाएगी। वैसे, रालोसपा प्रमुख के इस निर्णय का पार्टी में विरोध भी हो रहा है। पार्टी के प्रदेश महासचिव और पार्टी के संस्थापक सदस्य विनय कुशवाहा जदयू में विलय के मिल रहे संकेतों के बीच इसका विरोध करते हुए पार्टी छोड़कर अलग हो गए हैं।बहरहाल, तमाम अटकलों के बीच रालोसपा और जदयू के नेताओं के बीच बढ़ रही नजदीकियों से स्पष्ट है कि रालोसपा का जदयू में विलय तय है, क्योकि दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता हैं।