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क्या आप जानते हैं नवरात्रि में सभी शुभ कार्य होने के बावजूद क्यों नहीं होते विवाह?

29 सितंबर यानि कल से नवरात्रि प्रारम्भ होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है।

29 सितंबर यानि कल से नवरात्रि प्रारम्भ होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। वैसे नवरात्रि के पहले दिन से ही सभी तरह के शुभ काम शुरू होने लगते हैं। जिसमें गृह,प्रवेश,शॉपिंग,नई खरीदारी,कुछ नए काम करने लगते हैं। किसी काम की शुरूआत करने के लिए नवरात्रि के दिन सबसे ज्यादा शुभ माने जाते हैं। लेकिन इसके पीछे क्या वजह है कि नवरात्रि के दिनों में सभी कार्य हो सकते हैं सिवाए शादी-व्याह के। तो आइए आज हम आपको बताने वाले हैं इसके पीछे का मुख्य कारण…
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नवरात्रि में क्यों रोपा जाता है जौ
नवरात्रि में माता रानी की पूजा अर्चना करने की कई सारी मान्यताएं हैं। इन्हीं में से एक है घर पर जौ रोपना। जौ रोपने और कलश स्थापना के साथ ही माता रानी की नौ दिन की पूजा भी शुरू होती है। बता दें कि नवरात्रि के दिनों जौ रोपने इसलिए शुभ होता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी तब पहली फसल जौ ही थी और वसंत ऋुत की पहली फसल जो ही होती है। जिसे हम महारानी को समर्पित करते हैं।
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 इसलिए इसे भविष्य अन्न भी कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर नवरात्रि के दिनों रोपे गए जौ तेजी से बढ़ते हैं तो घर में सुख-समृद्घि तेजी से बढ़ती है। लेकिन इस मान्यता के पीछे असल वजह यही है कि माता रानी के आशीर्वाद से पूरा घर साल भर के लिए धनधान्य से भरा रहे।
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क्यों होता है रात्रि काल में देवी पूजन

शास्त्रों में रात्रि काल में देवी पूजा का खास महत्व माना गया है। रात्रौ देवीं च पूज्येत्। क्योंकि देवी रात्रि स्वरूपा है। जबकि शिव को दिन का स्वरूप माना गया है। इसी वजह से नवरात्रि व्रत में रात्रि व्रत का विधान है।  रात्रि रूपा यतो देवी दिवा रूपो महेश्वरः। रात्रि व्रतमिदं देवी सर्व पाप प्रणाशनम्। वैसे श्रद्घापूर्वक माता रानी की पूजा दिन या रात में कभी भी की जा सकती है। इसलिए नवरात्रि के नौ दिन नौ देवियो की पूजा अवश्य की जानी चाहिए। 
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क्यों नहीं होती नवरात्रि के दिनों में शादी
नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि शुद्घता से जुड़ा पर्व है। जिसमें नौ दिनों तक पूर्ण पवित्रता से देवी के नौ स्वरूपों की पूजा करी जाती है। इस दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्घता के लिए व्रत रखे जाते हैं। नवरात्रि के दिनों में बहुत से श्रद्घालु कपड़े धोने,शेविंग करने,बाल कटाने और पलंग या खाट पर सोने का भी परहेज करते हैं। 
वहीं विष्णु पुराण के मुताबिक नवरात्रि में उपवास करते वक्त बार-बार पानी पीने,दिन में सोने,तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ सहवास करने से व्रत खंडित हो जाता है। क्योंकि शादी जैसे आयोजन का मतलब संतति के द्वारा वंश को आगे चलाना माना गया है। इसलिए नवरात्रि के पवन अवसर पर विवाह करने के लिए मना किया जाता है। 

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