जालंधर : पंजाब विधानसभा में 22 जून को सिख विधायक की पगड़ी उतर जाने, महिला विधायक की चुन्नी (दुपट्टा) साथ बदसलूकी का मामला तूल पकड़ गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने इस मामले में विधानसभा स्पीकर राणा केपी व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को दोषी करार देते हुए उन्हें माफी मांगने को कहा है।
रूपनगर के गुरुद्वारा श्री भ_ा साहिब में एसजीपीसी की अंतरिम कमेटी की बैठक में लिया गया। एसजीपीसी अध्यक्ष प्रोफेसर किरपाल सिंह बडूंगर ने इसे बेहद शर्मनाक घटना करार दिया। वहीं, लोक इंसाफ पार्टी के विधायकों सिमरनजीत सिंह बैंस और बलविंदर सिंह बैंस ने सोमवार को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से मिलकर मांग की कि आरोपियों पर कार्रवाई की जाए। इस पर अब पांच सिंह साहिबान की जुलाई में होने वाली बैठक में फैसला होगा।
उधर, पंजाब कांग्रेस ने एसजीपीसी प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि धर्म और राजनीति को जोडऩे से इस धार्मिक संस्था को बड़ी ठेस पहुंचेगी। पंजाब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिरेामणि गुरुद्वारा प्रंबधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान किरपाल सिंह इस धार्मिक संस्था का लगातार राजनीतिकरण कर रहे हैं। कांग्रेस ने बडूंगर पर सियासी लाभ लेने की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि शिअद की ओर से लंबे समय से एसजीपीसी पर नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही है।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सरकारियां, रमनजीत सिंह सिक्की, सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ और दर्शन सिंह बराड़ ने कहा कि यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि बड़ूंगर अकाली दल की अगुवाई करना चाहते हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यदि एसजीपीसी सिखों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह चिंतित थी, तो इसे अकाली दल के शासन के दौरान पैदा हुए गंभीर संकटों दौरान अपना समर्थन देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी उस समय सामने क्यों नहीं आई जब राज्य में हर दूसरे दिन धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की जा रही थी और 2015 दौरान बरगाड़ी बेअदबी घटना के विरोध में फरीदकोट के प्रदर्शन कर रहे परिवारों की पगडिय़ां उछाली
गई थी।
– अश्विनी ठाकुर