नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में सत्र के पहले दिन सोमवार को शहर में दूषित पानी के मुद्दे को लेकर विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता सहित अन्य विधायकों ने सदन से वॉक आउट किया। जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ कर अपना विरोध जताया। इस मुद्दे पर नेता विपक्ष ने चर्चा की मांग की थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही गुप्ता और मनजिंदर सिंह सिरसा, ओम प्रकाश शर्मा और जगदीश प्रधान दूषित पानी की बोतलें लेकर आए।
कथित तौर पर दिल्ली में इनकी आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने वे बोतलें सदन में दिखाईं। गुप्ता ने कहा कि हम दिल्ली में दूषित जल की आपूर्ति पर चर्चा कराना चाहते थे। चर्चा के लिए हमने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और कार्यस्थगन प्रस्ताव भी दिया। लेकिन राम निवास गोयल ने सूचीबद्ध विषयों से इतर विषयों पर चर्चा करने की इजाजत नहीं देने की बात कहते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया।
मामले को लेकर विपक्षी विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष के बीच बहस भी हुई। गुप्ता ने कहा कि शहर में जिस पानी की आपूर्ति हो रही है, वह भारतीय मानक ब्यूरो की गुणवत्ता जांच में खरा नहीं उतरा। इसके बावजूद विपक्ष को यह मुद्दा नहीं उठाने दिया जा रहा। इस दौरान नेता विपक्ष ने अनधिकृत काॅलोनियों के आप सरकार के प्रस्ताव को भी झूठ का पुलिंदा कहकर फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव इतना विरोधाभाषी है कि कुछ भी निष्कर्ष निकालना असंभव है।
सरकार की मंशा अभी भी साफ नहीं है। इस मुद्दे को कांग्रेस ने 15 साल लटकाया, आप ने 5 साल अटकाया और मोदी सरकार ने 100 दिन में कर दिखाया। आज जब गरीबों को 6 रुपए वर्गमीटर और 12 रूपये वर्गमीटर जमीन मिल रही है तो केजरीवाल सरकार को दर्द हो रहा है। केजरीवाल सरकार ने कहा था कि 4 काॅलोनी के नक्शे तैयार हो गये हैं और शीघ्र की सभी नक्शे पास होंगे लेकिन हुआ आखिरी तक कुछ नहीं। केन्द्र सरकार ने बाउंड्री निर्धारित करने का दायित्व केजरीवाल सरकार को दिया था। 2017 तक आपने बाउंड्री निर्धारित नहीं की।