आपने विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में मानव के लिए शुद्ध एवं स्वास्थ्यवर्धक खाद्य के महत्व और जरूरत के विषय पर सुना और पढ़ा होगा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से प्रभावित होकर देश में आज ईट राइट, फिट इण्डिया और सबके लिए पोषक आहार से संबंधित प्रयास किए जा रहे हैं। सही भोजन, दीर्घ और सक्रिय जीवन का आधार माना जाता है। आप सही भोजन ग्रहण करेंगे तो जीवन भर समस्त गतिविधियों के संचालन के लिए हिट और फिट रह सकेंगे। इन दिनों खाद्य पदार्थों में मिलावट के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
भारत सरकार ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के माध्यम से मिलावट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है। सही भोजन की बात को लेकर देश में विरोधाभास दिखाई देते हैं। एक तरफ विवाह और अन्य सामाजिक आयोजनों में बड़ी मात्रा में बचा भोजन व्यर्थ जाता है। दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोगों को रात में भूखे सोने को मजबूर होना पड़ता है। भोजन को व्यर्थ जाने से बचाने के लिए हमें परिणामजनक प्रयास करने होंगे। मानव के लिए स्वस्थ आहार यानी सही भोजन उसे रोग मुक्त और उसके दीर्घ जीवन का आधार बनता है। इसके लिए सब खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, शुद्धता और भोजन बनाने के दौरान साफ-सफाई की अत्यंत आवश्यकता है।
मैंने लगभग 15 वर्ष पहले प्रतिष्ठित साप्ताहिक पांचजन्य में आरोग्य और सही भोजन पर लेखों की श्रृंखला प्रस्तुत की थी। मानव अधिक से अधिक समय जीवित रहना चाहता है। प्राय: लोग 100 वर्ष जीवित रहने की प्रबल इच्छा पालते हैं। प्रकाशित लेखों से साबित होता है कि 15 साल पहले भी सही भोजन की आवश्यकता के बारे में जागरूकता विकसित करने की आवश्यकता थी। पांचजन्य में मेरे प्रकाशित लेखों में से एक में सही भोजन के संतुलन से सौ वर्ष तक जीवित रहने के लिए आवश्यक खान पान और जीवनशैली का वर्णन है। मैं उसी लेख को पाठकों के लिए पुन: प्रस्तुत कर रहा हूं।
जिस प्रकार स्कूटर, कार अथवा हवाई जहाज पेट्रोल तथा डीजल का इस्तेमाल अपनी मशीनरी को चलाने के लिए करते हैं, उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी एक मशीन के समान है और इस शरीर रूपी मशीन को निरन्तर चलाते रहने के लिए जिस ईंधन की आवश्यकता है, वह है भोजन। इस भोजन की हर शरीर को आवश्यकता होती है, इसलिए भोजन जीवन की निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इस भोजन की प्राप्ति के लिए हम सब जीवन भर मेहनत करते हैं-हमारे देश में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को यह पर्याप्त मात्रा में प्राप्त भी नही हो पाता और बहुत सारे लोगों को आवश्यकता से अधिक प्राप्त हो जाता है। लेकिन शरीर भोजन का उपयोग शरीर के द्वारा की जा रही शारीरिक क्रियाओं या व्यायाम के आधार पर करता है।
शरीर साधारणतया तीन किस्म के भोजन का इस्तेमाल करता है-यह है प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा (फैट)। हम जो भी भोजन करते हैं, उसमें यह तीन विभिन्न मात्राओं में मौजूद होते हैं। गेहूं, चावल जैसे भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स ज्यादा मात्रा में, दाल, दूध, मांस इत्यादि में प्रोटीन अधिक मात्रा में तथा मक्खन एवं तेलों में वसा (फैट) की मात्रा भरपूर रहती है। इनमें से कोई भी शरीर के लिए पेट्रोल या डीजल जैसे ईंधन का काम कर सकता है। शरीर के ईंधन चाहे वह प्रोटीन हो, कार्बोहाइड्रेट हो अथवा वसा हो, शरीर सभी को जरूरत पड़ने पर तोड़ कर ऊर्जा एवं शक्ति में परिवर्तित कर लेता है जो कि शरीर की सभी क्रियाओं का संचालन करने के लिए आवश्यक है। पैदा होने के समय शरीर की स्वस्थ रचना होती है।
साधारणतया उसे 100 वर्ष तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है-इस 100 वर्ष की सुरक्षा के लिए सबसे आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है शरीर को मिलने वाले ईंधन का संतुलित अनुपात में होना। यदि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का अनुपात संतुलित नहीं है तो शरीर में धीरे-धीरे अनेक विकार पैदा हो जाएंगे और बढ़ते-बढ़ते वह किसी रोग का रूप ले सकते हैं। समाज के अधिकांश लोग बचपन में सभी को पढ़ाई गयी इस बात को जानते हुए भी शायद भूल जाते हैं और इस संतुलित आहार से जुड़े अनेक विषयों से अनभिज्ञ रहना हमारे लिए रोग उत्पत्ति का कारण बन जाता है। दुर्भाग्य से आजकल चिकित्सक दवाई का लम्बा विवरण देने में तो चतुराई से काम लेते हैं लेकिन भोजन से जुड़ी इसकी आवश्यक स्वास्थ्य शिक्षा के पहलू की चर्चा करने में संकोच करते हैं।
किसी ने कहा है कि ‘अगर आज के चिकित्सक आहार विशेषज्ञ नहीं बने तो कल के आहार विशेषज्ञ चिकित्सक अवश्य बन जाएंगे’। सभी प्रकार के भोजन में शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट एवं वसा के अलावा विटामिन, मिनरल्स, फाइबर्स और पानी होता है। किसी भी भोजन के तत्वों को इन्ही सात भागों में बांटा जा सकता है। शरीर को अपने विकास एवं ठीक प्रकार से बनाये रखने के लिए इन सबकी पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता है। लेकिन सभी का संतुलन आवश्यक है-किसी की कमी या आवश्यकता से अधिक मात्रा शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट वह भोजन का अंग है जो हमें तुरन्त रोज के कार्यों को सम्पन्न करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
यह हमें फल, सब्जियों, ग्लूकोज, शहद, चीनी, चावल, जौ इत्यादि से प्राप्त होते हैं प्रोटीन हमारे शरीर रूपी निर्माण की ईंटें हैं तथा यह मांस पेशियों का अधिकांश भाग बनाते हैं। शरीर को बहुत थोड़ी मात्रा में विटामिन चाहिए। इनसे ऊर्जा तो उत्पन्न नहीं होती पर शरीर को चलाने के लिए अनेक आवश्यक रासायनिक गतिविधियों के लिए इनकी आवश्यकता होती है। सभी विटामिनों का अपना एक विशेष कार्य है और उसकी कमी शरीर में विशेष रोग पैदा करती है। फल व सब्जियां विटामिन को भारी मात्रा में शरीर को प्रदान करती हैं। इसके अलावा दूध, अंडे, अनाज, दालों से अनेक विटामिन प्राप्त होते हैं। विटामिन त्वचा, आंख, हड्डियों, स्नायु तथा हृदय को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनकी कमी शरीर में अन्धापन, मसूड़ों से खून आना, कमजोर हड्डियां तथा दिमाग की धीरे-धीरे नष्ट होने वाली बीमारियां पैदा करते हैं।
शरीर के लिए कैल्शियम, पोटैशियम और सोडियम भी आवश्यक तत्व हैं जो हड्डी के विकास, खून को बनाने वाले हीमोग्लोबिन तथा खाने को पचाने में सहायक, पाचन एन्जाइंम्स के लिए आवश्यक हैं। इनके बगैर जीवन संभव नहीं-सभी साधारण खानों तथा जूसों के माध्यम से हमारे शरीर को ये प्राप्त होते हैं। शरीर के विकास में फाइबर की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह हमें केवल शाकाहारी भोजन से ही प्राप्त होते हैं। मांसाहारी भोजन में इनकी मात्रा नगण्य होती है। यह हमें अनाजों, फल तथा सब्जियों से भारी मात्रा में प्राप्त होते हैं। यह शरीर में कालेस्ट्रोल को कम करने, कब्ज से बचाने तथा वजन घटाने तथा हृदय रोग से बचने एवं बड़ी आंतों के कैंसर से बचाने में सहायक होते हैं।
आइए, आज ही से संकल्प करें कि हम शाकाहारी बनेंगे, कम और ठीक समय पर खाएंगे एवं अपने भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, मिनरल, फाइबर तथा पानी का इस्तेमाल अवश्य एवं संतुलित ढंग से करेंगे। यह हमें निश्चित रूप से 100 वर्ष तक की आयु तक स्वस्थ रहने की दिशा में अग्रसर कर सकता है।