नई दिल्ली: पुस्तक प्रेमियों के लिए पुस्तकों के महाकुंभ 26वें विश्व पुस्तक मेला का शनिवार को आगाज हुआ। आगाज ऐसा कि पहले ही दिन काफी तादाद में पुस्तक प्रेमी मेले में उमड़ पड़े। राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और जहरीली होती हवा को देखते हुए इस बार पुस्तक मेले को ‘पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन’ की थीम पर आयोजित किया गया है। इसके साथ ही खास बात यह है कि पहली बार राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा संस्कृत भाषा में पुस्तकों का प्रकाशन किया गया जिसे संस्कृत प्रेमियों का काफी प्यार मिल रहा है। प्रगति मैदान में निर्माण कार्य चलने के चलते पिछली बार के मुकाबले इस बार मेले का आकार थोड़ा छोटा है।
पिछली बार मेले को 37 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में आयोजित किया गया था, जबकि इस बार इसका आकार 30 हजार वर्ग मीटर है। हालांकि प्रकाशकों की संख्या इस बार भी 800 के आसपास ही है, जबकि 30 विदेशी प्रकाशक भी मेले में भाग ले रहे हैं। यूरोपिय संघ अतिथि देश के रूप में उपस्थित है। प्रगति मैदान के हॉल नंबर-7 में थीम मंडप बनाया गया है। इस मंडप में हर भारतीय भाषा में प्रकृति और प्रदूषण पर प्रकाशित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है। मशहूर नृत्यांगना सोनल मानसिंह की नृत्य नाटिका और गायिका मालिनी अवस्थी के लोक गीतों में भी पर्यावरण की बात की जाएगी।
गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित पर्यावरण व प्रकृति से जुड़े शबद गायन के लिए विशेष मंडली को आमंत्रित किया गया है। सिंधी भाषा में नाटक मंचन और संस्कृत भाषा में वार्ता के जरिये पर्यावरण पर चर्चा होगी। उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को उपस्थित होना लेकिन किन्हीं कारणों के चलते वह मेले में नहीं पहुंच सके लेकिन विडियो क्रांफेंसिंग के जरिए अपना संदेश पहुंचाया। इसके साथ ही कार्यक्रम में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, यूरोपिय संघ के राजदूत टोमाश कौज्लोस्की, पर्यावरण की प्रसिद्ध जानकार सुनीता नारायण, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की डॉयरेक्टर रीता चौधरी,एचाआरडी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
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