केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को उन खबरों को ‘अधूरी’ और ‘सीमित समझ वाली’ बताया जिनमें दावा किया गया है कि 16 जनवरी से सात जून के बीच टीकाकरण के बाद मृत्यु के 488 मामले कोविड के बाद की जटिलताओं से जुड़े थे। मंत्रालय ने कहा कि देश में उक्त अवधि में 23.5 करोड़ लोगों को कोविड टीका लग चुका है और कोविड-19 टीकाकरण से देश में मृत्यु के मामलों की संख्या टीका लगवा चुके लोगों की संख्या का महज 0.0002 प्रतिशत है और यह किसी आबादी में अपेक्षित दर है।
मंत्रालय ने कहा कि यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने वाले लोगों में मृत्यु दर एक प्रतिशत से अधिक है और टीकाकरण इन मृत्यु के मामलों को भी रोक सकता है। उसने कहा, ‘‘इसलिए कोविड-19 से मृत्यु के ज्ञात जोखिम की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु का जोखिम नगण्य है।’’ उसने मीडिया में आईं कुछ खबरों का हवाला दिया जिनमें टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) के मामले बढ़ने से टीका लगाने के बाद रोगियों की मृत्यु की बात कही गयी है।
खबरों के अनुसार टीकाकरण के बाद 488 लोगों की मृत्यु के मामले 16 जनवरी से सात जून के बीच कोविड के बाद की जटिलताओं से जुड़े हैं, जबकि अब तक 23.5 करोड़ लोगों को टीके लग चुके हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘स्पष्ट किया जाता है कि ये खबरें अधूरी और मामले की सीमित समझ पर आधारित हैं।’’