राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस नीत विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ चुकी है और उसका पूरा जोर सरकारी संपत्तियों को बेचने पर है। वहीं सत्ता पक्ष ने दावा किया कि रेलवे की वित्तीय स्थिति में सुधार तथा सुरक्षा के लिए कई कदम किए गए हैं जिनका असर दिख रहा है।
रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य नारण भाई जे राठवा ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह रेलवे का निजीकरण करने पर तुली हुयी है और देश में पहली निजी क्षेत्र तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत भी हो गयी। उन्होंने दावा किया कि 109 मार्गों पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर रेलवे सरकार के पास है तो लाभ की चिंता नहीं की जाएगी लेकिन अगर यह निजी हाथों में चला गया तो इससे आम लोगों के साथ ही वंचित लोगों को परेशानी होगी।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र का एकमात्र मकसद लाभ कमाना होता है और आमदनी बढ़ाने के लिए सबसे सरल तरीका यात्री किराए में वृद्धि है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि निजीकरण की स्थिति में आरक्षण के प्रावधान भी लागू नहीं होंगे और समाज का एक बड़ा तबका आरक्षण से वंचित रह जाएगा। पूर्व रेल राज्य मंत्री राठवा ने कहा कि रेलवे में हजारों पद खाली हैं लेकिन सरकार का ध्यान उन पदों को भरने के बदले विभिन्न जोनों में हजारों पद समाप्त करने पर है।
उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्हें इस तरीके से पेश करती है जैसे 2014 की पिछली सरकारों ने रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए कुछ नहीं किया हो। उन्होंने मांग की कि विभिन्न राज्यों में लंबित रेल परियोजनाओं के लिए राशि आवंटित की जाए और उन्हें जल्दी पूरा करने के प्रयास किए जाएं। रेल दुर्घटनाओं में कमी आने के दावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण पिछले करीब एक साल से ज्यादातर ट्रेनें बंद हैं। उन्होंने कहा कि जब ट्रेनें ही बंद हैं तो दुर्घटनाओं में कमी आने का दावा कैसे किया जा सकता है।