पटना, 01.03.2023
पूर्व उप मुख्यमंत्री सह वित मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार के बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार अब विकास से विभुख हो गई है। बजट घोषणाओं से साफ है कि सरकार के साथी बदलने के साथ ही उसका एजेंडा भी बदल चुका है। 2.61 लाख करोड़ के बजट प्रस्ताव में योजनाओं पर मात्र 38.20 प्रतिशत यानी 1 लाख करोड़ खर्च करने का अनुमान किया गया है, जिससे यह स्पष्ट है कि विकास सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।श्री प्रसाद ने कहा कि यह बजट पूरी तरह से दिशाहीन और डपोरशंखी घोषणाओं से भरा हुआ है। बजट में प्रदेश के युवाओं की उपेक्षा के साथ ही महिला, गांव, गरीब और बेरोजगारों की घोर उपेक्षा की गई है। बजट पूरी तरह से युवा बेरोजगारों की आशाओं व उम्मीदों को कुचलने वाला है। एक बार फिर सरकार ने युवाओं को 10 लाख नौकरियों का झांसा देकर कर उन्हें निराश किया है। बजट में किसान, गरीब, गांव और मजदूरों के लिए एक भी ऐसा प्रभावकारी कदम नहीं दिख रहा है जिससे उनकी जिन्दगी को बेहतर बनाने की उम्मीद जगे।उन्होंने कहा है कि सरकार पूरी तरह से केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी और कर्जों से उगाही जाने वाली राशि पर निर्भर है। पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 95,509.85 करोड़ मिलने के अनुमान की जगह वर्ष 2023-24 में यह बढ़ कर 1,02,737.36 करोड़ होने का अनुमान है। सरकार का अपना राजस्व सिकुड़ता जा रहा है। पूंजीगत व्यय के मामले में भी सरकार के पास कोई विजन नहीं है। रोजगार सृजन और आम लोगों की आय बढ़ाने की बजट में कोई दिशा नहीं है। श्री प्रसाद ने कहा है कि सरकार ने बजट के जरिए एक बार फिर युवाओं को झांसा देने का प्रयास किया है। पूर्व की रिक्तियों को इक्ट्ठा कर सरकार चुनावी वर्ष का इंतजार कर रही है। युवाओं की अपेक्षाओं पर सरकार चोट कर उनकी भावनाओं और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। बीपीएससी, बिएसएससी, बीटीएससी सहित अन्य भर्ती एजेंसियों को कुल 63,900 पदों की रिक्तियां भेजी है। मगर बड़ी चालाकी से उसने यह छुपा लिया है कि पिछले तीन-चार सालों से जो बहाली की प्रक्रिया चल रही है, उनका क्या होगा? विभिन्न पात्रता उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों से भी सरकार ने छल करते हुए केवल इतना भर कहा है कि 7 वें चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रियाधीन है।श्री प्रसाद ने कहा है कि कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता में होते हुए सर्वाधिक बदहाल स्थिति में हैं। कृषि के लिए कुल 3,639.78 करोड़, शिक्षा विभाग के लिए कुल 40,450.91 करोड़ व स्वास्थ्य विभाग के लिए 16,966.42 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में मामूली वृद्धि है। पिछले 5 वर्षों में शिक्षा पर 8 गुना एवं स्वास्थ्य पर 11 गुना अधिक व्यय के बावजूद शिक्षा व स्वास्थ्य की बदहाली में कोई सुधार नहीं हुआ है।