नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) की अपील पर ‘काम बंद’ का असर मंगलवार को दूसरे दिन भी कॉलेज में देखने को मिला। दिल्ली के नॉर्थ और साउथ के कॉलेजों में शिक्षकों ने सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर करीब एक बजे तक कॉलेज परिसर में बैठकर अपना विरोध जताया। वहीं कुछ कॉलेजों में यूजीसी के खिलाफ नारे भी बुलंद किए गए। सोमवार को नॉर्थ कैंपस में अधिकार रैली निकालकर हजारों की संख्या में शिक्षकों ने अपना विरोध एमएचआरडी की शिक्षा विरोधी और जन विरोधी आदेश के खिलाफ अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया था।
वहीं नॉर्थ कैंपस के कुछ कॉलेजों के छात्रों ने भी शिक्षकों के इस विरोध में अपना समर्थन दिया है। इस दौरान छात्रों ने गीत गाकर और नारे लगाकर शिक्षकों के साथ खड़े दिखे। इस बारे में डूटा प्रेजिडेंट डॉ राजीब रे ने बताया कि 30-70 प्रतिशत फंडिंग फॉर्म्युला, कॉलेजों की अटॉनमी स्कीम, समेत बाकी मुद्दों को लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों में रोष है। इनका कहना है कि हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (एचईएफए) के फंड के जरिए लोन फंडिंग और 70:30 फॉर्म्युला उच्च शिक्षा तक स्टूडेंट्स की पहुंच को और मुश्किल करेगा। एचआरडी मिनिस्ट्री का फैसले शिक्षा और निजीकरण की ओर ले जा रहा है।
30 प्रतिशत फंड का खुद इंतजाम करने के लिए कॉलेज निश्चित तौर पर फीस बढ़ाएंगे और नियमित पाठ्यक्रमों तक की फीसें बढ़ेंगी। इसलिए हम इस तरह की जनविरोध और शिक्षा विरोधी नीतियों का विरोध करते हैं। हमारी मांग है कि एमएचआरडी और यूजीसी जल्द ही उक्त मसलों का हल निकालें ताकि आने वाले वक्त में छात्रों को महंगी शिक्षा के बचाया जा सके। वहीं डूटा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन और तमाम कॉलेजों की यूनियन से भी अपील की है कि वे इस आंदोलन में शामिल हों।
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