नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया न्यूजपेपर एडिटर्स कॉन्फ्रेंस (AINEC) ने एनडीटीवी समाचार चैनल के प्रमुख प्रणय रॉय के कार्यालय और आवास तथा इस संगठन से जुड़े परिसरों पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो के छापों की निंदा की है। माकपा ने जारी वक्तव्य में कहा कि पार्टी एनडीटीवी और इसके प्रमोटरों के कार्यालयों पर सीबीआई द्वारा की गयी छापेमारी की निंदा करती है। उसने कहा कि मीडिया कार्यालयों में पुलिस और अन्य एजेंसियों का प्रवेश गंभीर मामला है।
माकपा ने आरोप लगाया कि एनडीटीवी पर छापेमारी अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने की मोदी सरकार की योजना का हिस्सा है। पार्टी मीडिया पर अंकुश लगाने के सरकार के प्रयासों पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती है और मांग करती है कि समाचार माध्यमों के स्वतंत्र कामकाज में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाए। सहमत ने इतिहासकार इरफान हबीब, रंगमंच हस्ती एम के रैना समेत 34 लोगों के हस्ताक्षर से युक्त विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें उसने एनडीटीवी के कार्यालय और परिसरों पर छापे की निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह अवांछित है।
उसने कहा कि निजी शिकायतों के मामले में सभी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए और उसका मानना है कि प्रारंभिक जांच के बिना तलाशी लेना भी और कुछ नहीं बल्कि धमकाने का तरीका है। मौजूदा सरकार मीडिया पर हमला करके प्रेस की आजादी को हल्के में ले रही है। एआईएनईसी ने जारी विज्ञप्ति में छापे की निंदा करते हुए कहा कि सरकार को बदले की भावना से कार्रवाई करने के रवैये को बंद करना चाहिए और समाचार या विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर रोक लगाने के लिए किसी भी मीडिया घराने या व्यक्ति के विरुद्ध सरकारी तंत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
उसने आरोप लगाया कि ये छापे प्रेस की आजादी पर हमले का स्पष्ट मामला है क्योंकि ऐसा लगता है कि एनडीटीवी पर समाचारों के प्रसारण के कारण यह कार्रवाई की गई। एनआईएनईसी ने कहा कि सरकार को मीडिया की आवाज दबाने से गुरेज करना चाहिए और नागरिकों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से विभिन्न विचारों को जानने और उन पर अपनी राय व्यक्त करने की इजाजत देनी चाहिए।