दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार की ‘‘निष्क्रियता’’ का हवाला देते हुए विभिन्न लंबित अवसंरचना परियोजनाओं से संबंधित फाइलें वापस मंगा ली हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘अनधिकृत धार्मिक ढांचों’’ जिनके कारण कई अहम बुनियादी ढांचा परियोजनाएं अटकी हुई हैं, को हटाने के लिए एक समिति गठित करने की सिफारिशों के बावजूद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अगुवाई वाले दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने पिछले साल मई से विभिन्न एजेंसियों के ऐसे 78 प्रस्तावों को लंबित रखा है।
सिसोदिया ने सक्सेना पर इस मुद्दे पर ‘‘राजनीति करने’’ का आरोप लगाया और जोर दिया कि धार्मिक ढांचों में बदलाव करने का कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) नियमावली (टीओबीआर), 1993 के कामकाज के नियम 19 (5) के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए गृह विभाग से मंत्रियों के स्तर पर एक महीने से अधिक समय से लंबित सभी फाइलों को वापस मंगाने का आदेश दिया है।
जो परियोजनाएं रुकी हुई हैं, उनमें महरौली-गुरुग्राम रोड, महरौली-बदरपुर रोड, धौला कुआं-आरटीआर मार्ग, विभिन्न स्थलों पर रिंग रोड, लोनी रोड और विजय नगर-बुरारी खंड जैसे महत्वपूर्ण ट्रैफिक कॉरिडोर पर जाम को खत्म करने के उपाय, दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेसवे के दिल्ली खंड पर काम पूरा करना और सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास परियोजनाओं का निर्माण शामिल है।