महात्मा गांधी हत्या मामले में दोबारा जांच की मांग वाली याचिका वाली सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्थगित कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता से चार हफ्ते बाद अगली सुनवाई में कोर्ट के सवालों का जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता पंकज फडणीस को मामले के न्याय-मित्र अमरेन्द्र शरण की रिपोर्ट पर जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
आपको बता दे की कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि महज एक फोटो के आधार पर कैसे सुनवाई कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में कानून के मुताबिक चलना होता है। इतने सालों बाद इस केस में कोई सबूत नहीं आ सकता ना ही कोई गवाह जिंदा बचा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि तीन बातों पर अपना पक्ष रखें- 1. याचिका को लेकर देरी 2. आपका इस मामले में फोकस क्या है 3. अब इस मामले में कोई सबूत नहीं है और न ही कोई गवाह जीवित है तो मामले की सुनवाई आगे कैसे बढ़ेगी। कोर्ट ने कहा कि घटना को घटे एक लंबा समय हो चुका है ऐसे में अब कोई ऐसा गवाह नहीं है जिसे विश्वसनीय माना जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि एक फोटोग्राफ के आधार पर सुनवाई कैसे कर सकते हैं जबकि कानून के मुताबिक फोटो लेने वाले को ये बताना होगा कि किन परिस्थितियों में फ़ोटो ली गई है। सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा. इससे पहले महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराने के मामले में एक नया मोड़ आ गया था।
महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत ना बताते हुए एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे ये साबित हो महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे की जगह किसी और ने की हो। अमरेंद्र शरण ने अपने जवाब में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो याचिकाकर्ता पंकज फडणवीस के उस दावे को साबित करे जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी को चार गोलियां लगी थी ये दावा किया था।
मुंबई के रहने वाले अभिनव भारत के पंकज कुमुदचंद्र फड़नीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि महात्मा गांधी की हत्या में गोडसे के अलावा विदेशी खुफिया एजेंसी का भी हाथ था।
याचिकाकर्ता ने ‘फोर्स 136′ पर जोर देते हुए कहा था कि सोवियत संघ (यूएसएसआर) में भारत के राजदूत को फरवरी 1948 में सूचित किया गया था कि अंग्रेजों ने इस हत्या को अंजाम दिया है।’
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