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कांग्रेस के टारगेट पर सबलगढ़ और जौरा विधानसभा

मेहरवान सिंह एक बार विधायक रह चुके थे। एक बार यहां से बहुजन समाज पार्टी ने भी अपना परचम लहराया, लेकिन बूंदी रावत विधायक चुने गए।

मुरैना : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने चंबल संभाग को अपना टारगेट प्राथमिक रूप से बनाकर और चुनावी सभाओं के माध्यम से विपक्ष को हाशिए पर लेकर तीव्रगति से अपना कदम आगे बढाया है। पिछले 6 अक्टूबर को जिला मुख्यालय के अम्बेडकर स्टेडियम में विशाल जनसभा को संबोधित कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं की टीम को लेकर जंगे ऐलान कर गए हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने आने वाले 16 अक्टूबर को ठीक दस दिन बाद ही श्योपुर से लेकर और मुरैना जिले की जौरा सुमावली पर अपना रोड शो करने का ऐलान किया है।

कांग्रेस सूत्रों की माने तो राहुल गांधी 16 अक्टूबर को श्योपुर में आमसभा करने के बाद विजयपुर पहुंचेंगे और विजयपुर से बाई रोड, सबलगढ़, कैलारस, जौरा और सुमावली क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में होते हुए मुरैना पहुंचेंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनावी जंग की शुरूआत चंबल से मानी जा रही है और वो यहां पुन: अपना दौरा कार्यक्रम घोषित कर चुके हैं। यहां बता दें कि पिछले 2013 के चुनावों में सबलगढ़ से भाजपा के मेहरवान सिंह रावत ने कांग्रेस के सुरेश चौधरी को पराजित किया था।

वहीं जौरा विधानसभा में भाजपा के सूबेदार सिंह रजौधा ने पिछले पचास वर्षों से पराजित हो रही भारतीय जनता पार्टी को विजय दिलाई थी। इन दो जगह कांग्रेस ने दो ढाई हजार के अंतर से हार का सामना किया। इसलिए कांग्रेस इस क्षेत्र को ज्यादा अहमियत दे रही है। कांग्रेस के सामने इन दो सीटों का महत्व काफी माना जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के टिकिट निर्णय पर लगभग इन दो सीटों की सफलता निर्भर करती है।

देखना यह है कि आगामी चुनाव के लिए प्रत्याशी के निर्णय की कुंडली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैसे तैयार करते हैं जो आने वाले समय उनको सफलता के पायदान पर पहुंचा सके। हालांकि सबलगढ विधानसभा को देखें तो कांग्रेस ने यहां दो बार सुरेश चौधरी और एक बार भगवती प्रसाद बंसल को विधायक बनाया, लेकिन ओबीसी का फेक्टर कहीं न कहीं भाजपा को फायदा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाता रहा।

दो बार ही भाजपा के मेहरवान सिंह रावत विधायक चुने गए। सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति का अगर आंकडा लिया जाये तो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों का ही जीत के लिए संघर्ष चलता रहा। यहां बहुजन समाज पार्टी यहां खाता खोलने में एक बार सफल हो सकी। पिछले चुनावों की हकीकत को देखें तो 1951 से 2013 कुल 14 चुनावों में से 1951 व 57 में बालमुकुंद मुदगल और 72 में रघुबर दयाल रसोइया तथा 77 में श्रीधर लाल हरदेनिया चुनाव जीते इनमे बालमुकुंद मुदगल और रसोइया जी कांग्रेसी थे तो हरदेनिया जी कट्टर संघी थे वे इस सीट से जीतने वाले आखिरी ब्रह्मण उम्मीदबार थे।

1980 में वैश्य वर्ग से सुरेश चौधरी ने कांग्रेस से विजय हांसिल की और उनके बाद भगवती प्रसाद बंसल ने 1993 में कांगेस से ही पुन: जीत हांसिल की इसके बाद सुरेश चौधरी को 2008 में कांग्रेस ने पुन: प्रत्याशी बनाया और जीत हांसिल की। इस तरह सबलगढ़ से 1980 के बाद से 2013 तक के 8 चुनावों में 4 बार वैश्य तो 4 बार रावत चुनाव जीते। चारो वैश्य प्रत्याशी कांग्रेस के थे इसके अलाबा 2013 में चुनाव भाजपा के मेहरवान सिंह रावत जीते हैं मुकाबला कांग्रेस के सुरेश चौधरी से ही हुआ था जिसमें सुरेश चौधरी पराजित हुए और मेहरवान सिंह विधायक बने इससे पहले के चुनाव में भी मेहरवान सिंह एक बार विधायक रह चुके थे। एक बार यहां से बहुजन समाज पार्टी ने भी अपना परचम लहराया, लेकिन बूंदी रावत विधायक चुने गए।

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