पश्चिमी दिल्ली : बवाना फैक्ट्री में बीते वर्ष भीषण अग्निकांड में 17 कर्मचारियों को मौत के अगोश में सुला दिया था। जिसके बाद फैक्ट्रियों में आग बुझाने और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किये गए। लेकिन किसी ने भी अग्निकांड से कोई सबक नहीं लिया था। वहीं राजधानी में चार दिन में चार अग्निकांडों ने फैक्ट्रियों की सुरक्षा-व्यवस्था की एक बार फिर पोल खोल दी। इसी क्रम में बीती रात बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में एक नेल पॉलिश की फैक्ट्री में भीषण आग लग गई।
इस हादसे में नौ कर्मचारी आग की चपेट में आ गए जिनको दो अलग-अलग अस्पतालों में दाखिल कराया गया, जहां डॉक्टरों ने दो लोगों की हालत नाजुक बताई है। जबकि तीन को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी। घायलों की पहचान बबलू(20), छोटू (21), रवि(26), जग्गी(22), रूम सिंह (20), कन्हैया(20), पप्पू(22), जगदीश(23) और वीरपाल (40) के रूप में हुई है। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फैक्ट्री मालिक की पहचान हितेश के रूप में हुई है।
पुलिस आरोपी से उसका फैक्ट्री लाइसेंस व अन्य दस्तावेज लेकर जांच कर रही है। दमकल विभाग के अनुसार, पुलिस कंट्रोल रूम को गुरुवार देर रात दो बजकर 48 मिनट पर बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में ई-ब्लॉक सेक्टर-4 में नेल पॉलिश फैक्ट्री में धमाके के बाद आग लगने की सूचना मिली। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दमकलकर्मियों की सहायता से आग पर चार घंटे की मशक्कत के बाद काबू पाया। दमकल की 28 गाड़ियों की मदद ली गई।
दमकलकर्मियों ने फैक्ट्री से नौ कर्मचारियों को झुलसी हालत में बाहर निकाला। जिनको कैट्स एंबुलेंस से महर्षि बाल्मिकी अस्पताल में दाखिल कराया, जहां डॉक्टरों ने तीन कर्मचारियों का प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी। जबकि बाकी छह को बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल से लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में रेफर कर दिया।
सभी कर्मचारी रहते हैं फैक्ट्री में ही… पीड़ित कर्मचारियों ने बताया कि फैक्ट्री मालिक हितेश की दो फैक्ट्री बराबर में है। जिनमें नेल पॉलिश बनाने का काम होता है। फैक्ट्री कर्मचारी अपना खर्चा बचाने के लिए फैक्ट्री में ही अपने परिवार के साथ छत पर बने कमरों में रहते हैं। जिसका मालिक को कोई किराया नहीं देना पड़ा है। जिससे उनकी तनख्वाह के काफी पैसे बच जाते हैं। इसकी एवज में वह समय से ज्यादा फैक्ट्री में काम करते हैं।
तड़पते रहे कर्मचारी
कर्मचारियों ने बताया कि काफी देर तक सड़क पर सभी नौ कर्मचारी झुलसी हालत में तड़पते रहे थे। अधिकतर के हाथ चेहरे और पैर जले थे। जबकि कुछ की आंख भी जली, वीरवाल के लेफ्ट पैर में फ्रैक्चर भी हुआ। सभी वहां पर मदद के लिए चिल्लाते रहे थे। तभी कर्मचारियों ने पुलिस को हादसे की सूचना दी थी।
परिवार में कमाने वाला एक… वीरपाल रोशनहारा बाग का रहने वाला है, जिसकी पत्नी और दो बच्चे हैं। जबकि रूम सिंह की करीब छह महीने पहले ही शादी हुई है। वह यूपी के एटा का रहने वाला है। उसका चचेरा भाई अंकित बुध विहार में रहता है। ऐसे हादसे की चपेट में आए सभी कर्मचारी अपने परिवार को पालने वाले अकेले व्यक्ति हैं। जिनके झुलसने के बाद उनको उनकी पत्नी और बच्चों का पालन पोषण करने वाले उनके रिश्तेदार जरूर हैं।
निकलने का एक ही गेट
इस बार फिर बड़ा कारण फैक्ट्री में एक ही मैन गेट होना था। अगर कोई आपातकालीन दूसरा बाहर आने का गेट होता तो शायद कोई कर्मचारी नहीं झुलस पाता। बवाना में जितनी भी फैक्ट्री बनी हुई है। सभी एक ही नक्शे पर बनी हुई है। जिससे जब भी कोई हादसा होता है तो या तो कर्मचारी ऊपरी मंजिल पर जाकर अपनी जान बचाने के लिए बराबर वाली फैक्ट्री पर चले जाते हैं।
– के के शर्मा