भारतीय रेलवे एक बहुत बड़ा नेटवर्क है। रेलवे एक ऐसा साधन है जिससे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत को जोड़ रखा है। भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को बम्बई के बोरीबंदर स्टेशन और ठाणे के बीच चलाई गई थी। पहली ट्रेन में 400 यात्रियों ने सफर किया था। आज आलम यह है कि भारतीय ट्रेनों में रोजाना 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 7500 रेलवे स्टेशन हैं। भारत में लगभग 115 हजार किलोमीटर लम्बे ट्रैक का जाल बिछा हुआ है। भारतीय रेलवे में लगभग 16 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस तरह यह दुनिया का नौवां सबसे बड़ा नौकरी देने वाला विभाग है। तमाम वित्तीय चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे के नाम कई रिकार्ड दर्ज हैं। अब तो सेमी बुलेट ट्रेनों की शुरूआत की जा रही है। दिल्ली और भोपाल के बीच शताब्दी एक्सप्रैस की शुरूआत 1988 में की गई थी। इसकी रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटा थी। अब मुम्बई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजैक्ट पर काम किया जा रहा है। रेलवे की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को कोरोना महामारी ने काफी नुक्सान पहुंचाया है। बिना रेलवे के देशभर में जीवन सामान्य हो जाएगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का संकट देखते हुए राज्य सरकारों के अनुरोध पर श्रमिक ट्रेनें जरूर चलाई गईं, वह भी मौके की नजाकत को देखते हुए। इन ट्रेनों से लाखों प्रवासी मजदूरों को अपने गांव, अपने घर पहुंचने में काफी मदद मिली। अब जबकि लॉकडाउन अनलॉक हो चुका है। दिल्ली और देशभर में मैट्रो ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया जा चुका है तो भारतीय रेलवे भी कोरोना काल से पूर्व की तरह ट्रेनों के संचालन की तैयारी कर रहा है। इतने बड़े नेटवर्क को लम्बे अर्से तक ठप्प करके नहीं रखा जा सकता। जल्द ही गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है-गीत फिर लोगों की जुबां पर आएगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष मार्च में 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट रद्द किए गए और 2727 करोड़ के लगभग रकम वापस की गई। रेलवे ने 25 मार्च से ही अपनी यात्री ट्रेनें स्थगित कर दी थीं। पहली बार रेलवे ने टिकट बुकिंग से जितनी आमदनी हुई उससे ज्यादा रकम वापस की।
वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में यात्री खंड में 1060 करोड़ के राजस्व का घाटा हो चुका है। सेवाओं के स्थगित होने के कारण अप्रैल, मई और जून के लिए बुक टिकटों की राशि वापस की गई, जबकि इन तीन महीनों के दौरान कम टिकट बुक हुए थे। कोरोना काल में रेलवे ने रेलवे स्टेशनों पर खड़ी ट्रेनों के कोचों को कोविड-19 केन्द्र में परिवर्तित किया ताकि रोगियों के लिए अस्पतालों में बैड की कमी के चलते उन्हें इनमें रखा जा सके। रेलवे ने महामारी के दौर में भी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ी पहल की। भारतीय रेलवे ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत 6 राज्यों बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6.40 लाख से भी अधिक मानव कार्य दिवस जेनरेट किए हैं। इन राज्यों में करीब 165 रेल इंफ्रा प्रोजैक्ट्स चल रहे हैं। इस दौरान रेलवे के रखरखाव का काम भी जारी रहा आैर मौजूदा रेल पटरी के किनारों, तटबंधों, उपमार्गों, पुलों की मुरम्मत का काम भी चलता रहा। कोरोना काल में रेलवे को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। उत्तर रेलवे के दावा रिफंड कार्यालय को गुणवत्ता प्रबंधन सेवाओं के लिए आईएसओ 9001-2015 प्रमाण पत्र दिया गया है। अब यात्रियों को टिकट रद्द कराने पर कम समय में रिफंड मिल रहा है।
कोरोना से मुक्ति कब मिलेगी यह तो कहना मुश्किल है लेकिन इतना तो जरूर है कि कोरोना ने जिन्दगी जीने को लेकर यात्रा करने के तौर-तरीकों तक सब कुछ बदल कर रख दिया है। भारतीय रेलवे ने कोरोना काल के बाद से रेलवे के सफर को सुरक्षित बनाने के मकसद से नए रेल कोच तैयार किए हैं। रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला ने जो नए डिब्बे तैयार किए हैं, उनमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं। नए कोचों में हैंड्स फ्री सुविधाएं लगाई गई हैं। अब पानी की टंकी का टैप, डोर, हैंडल आदि छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हैंडल पर कॉपर कोटिंग की गई है। कॉपर पर कोराेना वायरस का प्रभाव बहुत जल्द खत्म हो जाता है। कोच की हर उस जगह या सतह, जिससे यात्रियों का सम्पर्क होता है, पर टाइटेनियम डाईआक्साइड की कोटिंग की गई है। यह वायरस को जल्द खत्म करता है। और भी आवश्यक बदलाव किए गए हैं। अब रेलवे की सबसे बड़ी चुनौती ट्रेन सेवाओं को सुरक्षित ढंग से चलाना और रेलवे के राजस्व घाटे की भरपाई करना है। रेलवे ने कोरोना काल से पहले की ही तरह 500 ट्रेनों को चलाने और 10 हजार ठहरावों को कवर करने की समय सारिणी तैयार कर ली है। रेलवे ने इस वर्ष नए टाइम टेबल से 1500 करोड़ की अतिरिक्त आय का लक्ष्य रखा है। मालगाड़ियों काे 15 प्रतिशत अधिक चलाने की योजना है और यात्री ट्रेनों की गति भी बढ़ाई जाएगी ताकि ज्यादा फेरे लगाए जा सकें। लम्बी दूरी की ट्रेनों को 200 किलोमीटर के दायरे में नहीं रोका जाएगा जब तक कि मध्य में कोई बड़ा शहर न पड़ जाए। उम्मीद है कि रेलवे को पुनः मजबूत बनाने के लिए नए तौर-तरीकों के साथ यात्रियों के सामने खुुद को पेश करना होगा। देश भर में स्थितियां सामान्य बनाने के लिए केवल ट्रेनों का संचालन ही काफी नहीं बल्कि जन सहयोग भी बहुत जरूरी है। जन-जन को ट्रेन को अपनी सम्पत्ति समझकर अपना कुशल व्यवहार दिखाना होगा ताकि ट्रेनें स्वच्छ और शानदार बनी रहें।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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