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स्वाभिमान से रहना है तो…

एनआईए ने 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए आतंकी हमले में 13500 पन्नों की चार्जशीट दायर कर दी है।

एनआईए ने 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए आतंकी हमले में 13500 पन्नों की चार्जशीट दायर कर दी है। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। एनआईए ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पूरी साजिश का खुलासा करते हुए जेश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर, उसके भाइयों अब्दुल रुऊफ असगर और अम्मार अल्वी के साथ 19 लोगों को आरोपी बनाया गया है। पुलवामा हमले का बदला जब भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयर अटैक करके लिया तो देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हुआ। देशवासियों को इस बात का विश्वास हो गया कि देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों में ही ठीक है क्योंकि भारतीय सेना ने वह कर दिखाया जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था। देशवासियों में आत्मविश्वास जाग उठा कि भारत अब दुश्मनों से बदला लेना सीख चुका है। डोकलाम हो या गलवान घाटी भारत चीन की आंख में आंख डालकर बातचीत कर रहा है। इससे पहले तो भारत पाकिस्तान से बातचीत करता रहा है लेकिन अब भारत अपने स्टैंड पर अडिग है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। देश को स्वाभिमान से रहना है तो पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना होगा।
पुलवामा हमले में जिस मसूद अजहर को आरोपी बनाया गया है, उसे भारत ने ही रिहा किया था। 1999 का आई 814 विमान अपहरण में बंधक बनाए गए 150 से अधिक यात्रियों को रिहाई के लिए तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने मसूद अजहर समेत तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया था। आम धारण यह है कि सरकार को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि इन यात्रियों के रिश्तेदारों ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आवास के सामने प्रदर्शन ​किया था, धरना ​दिया था। कांग्रेस भी यात्रियों की रिहाई के समर्थन में थी और तब प्रदर्शनकारियों और धरना देने वालों के बीच कम्युनिस्ट पार्ट की नेता वृंदा करात भी देखी गई थीं। यह विमान काठमांडौ से दिल्ली की उड़ान पर था, जब यह विमान वाराणसी के ऊपर उड़ रहा था तभी कुछ आतंकवादियों ने इसका अपहरण कर लिया था। विमान में इतना ईंधन नहीं था कि उसे पाकिस्तान ले जाया जाता। मजबूरन विमान को अमृतसर में उतारा गया। वहां अपहरणकर्ताओं ने रुपिन कत्याल नामक एक यात्री की हत्या कर दी। 25 वर्षीय कत्याल शादी के बाद अपनी पत्नी रचना के साथ हनीमून मनाने काठमांडौ गए थे कि आते समय विमान का अपहरण हो गया। देश की बेटी के हाथों में मेहंदी का रंग भी फीका नहीं पड़ा था कि अपहरणकर्ताआें ने उनका सुहाग उजाड़ दिया। देश आक्रोश में था। कहा तो यह भी जा रहा है ​कि अटल जी को विमान अपहरण के कई पहलुओं से अंधेरे में रखा गया। यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के लिए अमेरिका, स्विजरलैंड समेत कई देशों ने भारत पर दबाव डाला था क्योंकि  अपहृत विमान में स्विजरलैंड का एक अति ​िवशिष्ट धनाढ्य व्यक्ति बैठा हुआ था।
विमान अमृतसर हवाई अड्डे से ईंधन भरवा कर पाकिस्तान होता हुआ कंधार पहुंच गया था। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई ने अपहरणकर्ताओं की सहायता की थी। वहीं कंधार की ​तालिबानी हकूमत ने भी उसमें सहयोग दिया था। स्थितियां ऐसी बनीं कि मसूद अजहर समेत तीन आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा और उन्हें विमान से कंधार ले जाया गया। साथ में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी उसी उड़ान के साथ गए थे। कहानियां तो बहुत सी सामने आईं लेकिन निष्कर्ष यही है कि काश हमने विमान को अमृतसर में रोके रखने में कामयाबी मिल जाती और सरकार को घुटने नहीं टेकने पड़ते।
अब सवाल यह है कि चार्जशीट में मसूद अजहर को आरोपी बनाकर भारत क्या उसे दंडित कर पाएगा? इसके​ लिए भारत को इस्राइल से सबक सीखना होगा जो अपने दुश्मनों को ढूंढ-ढूंढ कर मारता है। अमेरिका ने भी पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपे हुए ओसामा बिन लादेन को मार कर उसकी लाश समुद्र में फैंक दी थी। आतंकवाद के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम में लाख प्रयत्न करने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद जिन्दा है और पूरी शिद्धत से जिंदा है। ऐसा जहनियत के लोग बढ़ते ही जा रहे हैं जो अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे।
यह एक जगजाहिर तथ्य है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खतरनाक आतंकी संगठन पाकिस्तान स्थित ठिकानों से आतंकी गतिविधियां संचालित करते हैं, जो न केवल सीमावर्ती इलाकों में सीधे हमले करते हैं बल्कि देश के कई इलाकों में घुसपैठ करके अपनी मंशा का विस्तार करने की कोशिश करते हैं। राजधानी दिल्ली में एक आतंकी की गिरफ्तारी और उत्तर प्रदेश में उसके घर से हथियारों के जखीरे की बरामदगी से पता चलता है कि षड्यंत्र अब भी जारी है। लेकिन सुरक्षा एजैंसियों ने समय रहते उसे दबोच लिया। समय आ चुका है कि राष्ट्र आत्म बलिदान यज्ञ करके दुष्टों की आहूति दे।
पाकिस्तान कभी सुधर नहीं सकता, वह उन्माद में जीता है। अतीत में भी हमने यह देख लिया कि इसे जब मौका मिला इस पर आक्रमण कर दिया। 1948, 1965, 1971, 1999 ये सारे वर्ष हमारे सामने हैं। ऐसे में भारत को अपनी रणनीति तय करनी होगी। स्वाभिमान से रहना है तो पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को मरघट में तबदील करना ही होगा।

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