रूस और यूक्रेन में युद्ध जारी है। इस युद्ध में यूक्रेन तो तबाह हुआ ही लेकिन रूस को भी काफी नुक्सान पहुंच चुका है। इस युद्ध ने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाला है। 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। रूस के ताबड़तोड़ हमलों से ऐसा लग रहा था कि रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन काफी जल्दबाजी में हैं और युद्ध एक-दो हफ्ते में खत्म हो जाएगा। युद्ध की विभीिषका में जलता यूक्रेन, खौफ के साये में परिवार, बिलखते बच्चे और रोते मां-बाप, लगातार कई शहरों पर मिसाइल अटैक, शांति को चीरती बमों की गूंज यही दास्तां है यूक्रेन के कई शहरों की। फिर भी दोनों देशों के नेताओं का दिल पिघल नहीं रहा। यूक्रेन, अमेरिका और नाटो देशों से मिल रहे हथियारों के बल पर रूस का मुकाबला कर रहा है और कभी-कभी इस तरह की रिपोर्टें भी आती हैं कि यूक्रेन ने रूस को भारी नुक्सान पहुंचाया है। युद्ध हमेशा तबाही लाते हैं। विनाश होता है, जिंदगियां खत्म होती हैं और लाखों परिवार खत्म हो जाते हैं। किसी मां की गोद उजड़ जाती है तो किसी का सुहाग। युद्ध कितना भयानक होता है इसका अंदाजा लोगों को पहले ही पता लग चुका है। इसके बावजूद रूस-यूक्रेन युद्ध खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है।
इस युद्ध में यूक्रेन अमेरिका, यूरोप और सहयोगी देशों के लिए टैस्टिंग लैब बन गया है, जहां वो अपने हथियारों के इस्तेमाल को परख रहे हैं कि वह कितने कारगर हैं। वास्तव में जितने हथियार हैं उनका पहले कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया। इस तरह यूक्रेन हथियारों की प्रयोगशाला बन चुका है। दुनिया एक तरफ मंदी की आशंका से जूझ रही है, लेकिन मौत के बाजार में मंदी का कोई असर नहीं। युद्ध के चलते दुनियाभर में खाद्य और ऊर्जा संकट गहरा चुका है। लेकिन हथियारों की मंडी में इस संकट का कोई असर नहीं। अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार और गोला बारूद दे रहे हैं। अगर यूक्रेन को हथियार नहीं मिलते तो वह कब का घुटने टेक चुका होता। युद्ध की आड़ में हथियारों की बिक्री लगातार बढ़ रही है। हथियारों के कारोबार पर न तो कोरोना महामारी का कोई असर पड़ा, न ही आर्थिक मंदी का और न ही सप्लाई चेन में आई गड़बड़ी का।
सिप्री के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका की हथियार कम्पनियों ने 2021 में कुल 299 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं और इस लिस्ट में अमेरिका की 40 हथियार कम्पनियां शामिल रही हैं। हथियार बेचने के मामले में पूरी दुनिया में अमेरिका सबसे आगे रहा है। हालांकि उच्च मुद्रास्फीति की वजह से हथियारों की बिक्री वास्तविक रूप से थोड़ी कम हुई है। 2018 के पैटर्न को ही जारी रखते हुए दुनिया में हथियार बेचने वाली शीर्ष पांच कम्पनियों में पांचों अमेरिकन कम्पनियां हैं और इनके नाम लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन टेक्नोलॉजीज, बोइंग, नॉर्थ्रोप ग्रुम्मन और जनरल डायनेमिक्स हैं। वहीं सिप्री की रिपोर्ट में चीनी निर्माताओं की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है। हथियार उत्पादक देशों की िलस्ट में आठ चीनी हथियार कम्पनियां शामिल हैं। जिन्होंने 109 अरब डॉलर का कारोबार किया है, जो पिछले साल की तुलना में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि है। चीन की चार हथियार कम्पनियां टॉप-10 में शामिल हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार और रक्षा कम्पनियों ने साल 2021 में पिछले साल के मुकाबले 1.9 प्रतिशत ज्यादा हथियार बेचे हैं और साल 2021 में 592 अरब डॉलर का हथियारों का कारोबार किया गया है। सिप्री ने सोमवार को जारी अपने आर्म्स इंडस्ट्री डेटाबेस में कहा कि साल 2019 से 2020 में हथियारों के कारोबार में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी और 2021 में भी वैश्विक हथियारों की बिक्री में लगातार सातवें वर्ष बढ़ौतरी को दर्ज किया गया है। यानि पिछले सात सालों में ग्लोबल आर्म्स ट्रेड में लगातार इजाफा ही हुआ है।
अमेरिका ने कुछ दिन पहले यूक्रेन को 2.5 अरब डॉलर की सैन्य मदद देने का ऐलान किया है। इस मदद से भी यूक्रेन नए हथियार और गोला-बारूद ही खरीदेगा। युद्ध में कोई जीते, कोई हारती है तो बस मानवता। हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया ने द्वितीय विश्व युद्ध से भी सबक नहीं सीखा। जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराया गया था, पलभर में लाखों जिन्दगियां उजड़ गई थीं। जो बच गए थे वो अपंगता के शिकार हुए थे। रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। पुतिन की ओर से परमाणु हमले की धमकी दी जा रही है। युद्ध के दिल दहला देने वाले वीडियो देखकर हर किसी का दिल धधक उठता है। लेकिन मौत के बाजार में कोई असर नहीं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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