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अब माता सीता को भी गहराई से जानेंगे यूरोप- अमेरिका

भारत, राम और हिंदी को लेकर विदेशी विद्वानों में सदियों से जिज्ञासा का भाव बना रहा है। जिसे पता नहीं क्यों हमारे अपने बुद्धिजीवि और इतिहासकार छिपाने का भरपूर प्रयास करते रहे हैं। इन जिज्ञासुओं में अनेकों यूरोपीय, अमेरिकी, चीनी, अरबी और जापानी विद्वान भी शामिल रहे हैं। उन नामों में से अब एक नाम अमेरिकी लेखिका डेना मेरियम का भी जुड़ गया है। वह बीते चार दशकों से हिंदू धर्म का गहन अध्ययन कर रही हैं। अब उन्होंने माता सीता पर गहन शोध के बाद एक किताब ‘द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सीता’ लिखा है। बीते माह अयोध्या में राममंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के आलोक में डेना मेरियम की माता सीता पर आई किताब महत्वपूर्ण मानी जानी चाहिए। उनके अपने देश अमेरिका में भी प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर अभूतपूर्व उत्साह देखने में आया था। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के फेमस टाइम स्क्वायर पर भी दिखाया गया था। अमेरिका के हर शहर में राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम का टेलीकास्ट किया गया था।
डेना मेरियम की ‘द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सीता’ ने तुरंत विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है। माता सीता पर किए गए मूल शोध को नजरअंदाज करना असंभव है। माता सीता आधुनिक समाज की नारी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। यदि नारी मां सीता के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात कर ले तो उसका जीवन भी आनंदमय होकर संकट मुक्त हो जाएगा। माता सीता का जीवन आधुनिक परिवेश में भी अनुकरणीय है। पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए उन्होंने राजमहल का ऐश्वर्य का त्याग कर वन में संघर्षशील जीवन बिताया। इतना ही नहीं पति के आदेशानुसार अपने द्वितीय निर्वासन के दौरान वन में साधारण स्त्री की तरह रहते हुए व एक आदर्श माँ का कर्तव्य निभाते हुए उच्च आदर्श स्थापित किया। आज के समाज में उन आदर्शों का तो लोप होता जा रहा है।
डेना मेरियम की पुस्तक को देखकर स्वर्गीय कथाकार-उपन्यासकार मृदुला सिन्हा जी का स्मरण हो उठता है, जिन्होंने दशकों पूर्व इसी विषय पर एक अद्भुत उपन्यास “सीता पुनि बोली ” लिखा था। डेना मेरियम भी प्रख्यात हिंदी सेवी और राम चरित मानस के प्रकांड विद्वान फादर कामिल बुल्के की तरह ही हिंदी की उद्भट विद्वान हैं। यह निर्विवाद है कि माता सीता के बिना राम अधूरे हैं। माता सीता पृथ्वी से जन्मी एक देवी हैं। वह हिंदू धर्म में समृद्धि, धन और सुंदरता की देवी लक्ष्मी का अवतार भी मानी जाती हैं। सीता को आदर्श पत्नी और महिला के रूप में चित्रित किया गया है, जबकि उनके पति राम, भगवान विष्णु के अवतार, रामायण के नायक और आदर्श पति और मर्यादा पुरुषोतम हैं।
माता सीता, जिनकी भारत पूजा करता है, पर किताब लिखने के लिए डेना मेरियम ने भारत में ऋषिकेश, अयोध्या और वैष्णो देवी जैसे कई हिंदू तीर्थ स्थानों की यात्रा की है। उनके लिए भारत दूसरे घर की भांति है। वह मैक्स मूलर और फादर कामिल बुल्के की परंपरा की विदेशी हैं, जिन्होंने भारत और हिन्दू धर्म के अहम प्रतीकों का गहराई से अध्ययन किया। डेना मरियम परमहंस योगानंद की शिष्या और क्रिया योग ध्यान की अभ्यासी रही हैं। वह वैदिक परंपरा के महान ग्रंथों की भी लंबे समय से छात्रा रही हैं।
यह सुखद है कि एक विदेशी लेखिका माता सीता पर एक प्रामाणिक पुस्तक लिखे। ‘द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सीता’ में डेना मरियम अपनी पुस्तक में सीता के जीवन की पारंपरिक कथा को प्रतिस्थापित करती है। माता सीता वास्तव में देवी नारायणी का अवतार हैं। सीता उस समय एक नई सभ्यता की नींव रखने में श्री राम के साथ शामिल होने के लिए पृथ्वी पर आती हैं, जब मनुष्य प्राकृतिक दुनिया से अलग होने लगा था। वह लोगों के दिल और दिमाग में, जंगलों और नदियों, पौधों और जानवरों के जीवन के लिए एक महान प्रेम पैदा करना चाहती हैं ।
किसे नहीं पता कि फादर कामिल बुल्के के लिए भारत अपनी मातृभूमि से भी कहीं ज्यादा प्यारा था। बेल्जियम में जन्मे फादर कामिल बुल्के ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से “रामकथा उत्पत्ति और विकास” पर डाक्टरेट किया और रांची के सेंट जेबियार्स कॉलेज में जिन्दगी भर हिंदी पढ़ाया। यह असंभव है कि हिन्दी पट्टी के किसी शख्स ने उनका नाम न सुना हो या अंग्रेजी के किसी जटिल शब्द का हिन्दी में सही और उपयुक्त शब्द जानने के लिए फादर कामिल बुल्के द्वारा निर्मित शब्दकोष के पन्ने नहीं पलटे हों। फादर बुल्के आजीवन हिन्दी की सेवा में जुटे रहे। वे हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोष के निर्माण के लिए सामग्री जुटाने में सतत प्रयत्नशील रहे। आज उनका अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोष सबसे प्रामाणिक माना जाता है। मुझे सौभाग्य है कि अनेकों वर्ष रांची में होने वाले तुलसी जयंती समारोहों में उन्हें सुना और अनेकों बार उनसे मिला। एक सौभाग्य की बात यह रही कि मेरी पत्नी उन्हीं की शिष्या रहीं और उन्हीं के मार्गदर्शन में रांची विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया।
डेना मरियम के पास दर्शन का गहरा ज्ञान तो है ही, उन्होंने भारतीय दर्शन का भी गहराई से अध्ययन किया। इस पुस्तक में, डेना मेरियम ने सीता के विवाह, मिथिला से प्रस्थान, अयोध्या में समायोजन, प्राचीन अयोध्या में पुनर्जन्म, मंदोदरी को सीता की शिक्षा, अयोध्या में वापसी, वन में वापसी, वन में जीवन, शिक्षा पर अध्याय समर्पित किए हैं। इस बीच,यह सबको पता है कि मैक्स मूलर कभी भारत नहीं आए, पर उन्होंने संस्कृत का गहन अध्ययन किया। इसके बाद तो संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थों के अनुवादों का सिलसिला शुरू हो गया। उन्होंने ‘मेघदूत’ का जर्मन भाषा में पद्यानुवाद किया।
डेना मरियम कहती हैं कि उन्होंने जब माता सीता के जीवन और संघर्षों के बारे में पढ़ा तो उन्हें लगा कि इस विषय पर लगातार शोध करने की आवश्यकता है। इसलिए उन्होंने माता सीता पर शोध किया और एक पुस्तक लिखी। माता सीता भारत के नारियों के लिए तो सदैव आदर्श रहेंगी। उन्होंने कभी भी धैर्य नहीं खोया। वे त्याग, पति के मान व पतिव्रत का पालन जीवनपर्यंत करती रही। माता सीता का चरित्र संपूर्ण विश्व को ज्ञान देने वाला चरित्र है, जो नारी के त्याग, समर्पण, साहस शौर्य का प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह हर्ष का विषय है कि माता सीता के जीवन चरित्र पर एक अमेरिकी लेखिका ने लिखा। अब माना जा सकता है कि माता सीता के बारे में अमेरिका और यूरोप के समाजों को भी ठीक से पता चलेगा।

– आर.के. सिन्हा

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