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यूनिवर्सिटी कैंपस में बवाल

पंजाब के मोहाली में चंडीगढ़ यूनिव​र्सिटी में कथित अश्लील वीडियो लीक मामले ने लोगों को हिला कर रख दिया। यूनिवर्सिटी की छात्राओं में आक्रोश है।

पंजाब के मोहाली में चंडीगढ़ यूनिव​र्सिटी में कथित अश्लील वीडियो लीक मामले ने लोगों को हिला कर रख दिया। यूनिवर्सिटी की छात्राओं में आक्रोश है। उनके अभिभावक चिंतित हैं। पिछले दो दिन से जमकर बवाल मचा हुआ है। हजारों छात्राएं इंसाफ की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। यूनिवर्सिटी को एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया है। य​द्यपि पंजाब पुलिस ने कथित अश्लील वीडियो बनाने वाली छात्रा, उसके ब्वाय फ्रैंड और उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया है। होस्टल के सभी वार्डनों का तबादला कर दिया गया है। 
इस सब के बावजूद छात्राओं और उनके अभिभावकों की चिंता और गुस्सा शांत होता दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन दावा कर रहा है कि दोषी छात्रा ने केवल अपना वीडियो बनाकर अपने मित्र को भेजा है, इसके अलावा किसी भी छात्रा का वीडियो नहीं बनाया गया। छात्राओं का भरोसा पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन से उठ चुका है और वे होस्टल छोड़कर घरों को वापिस लौटने लगी हैं। अब बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं कि क्या जमकर हुआ बवाल महज अफवाह पर आधारित था या इसमें कोई सच्चाई है। छात्राओं का दावा है कि कम से कम 60 छात्राओं के वीडियो बनाए गए हैं। तरह-तरह की कहानियां सामने आ रही हैं, जितने मुंह उतनी बातें। सच सामने आना ही चाहिए लेकिन सच तभी सामने आएगा जब इस केस की जांच निष्पक्ष एवं ईमानदार ढंग से होगी। अर्ध सत्य कभी-कभी पूर्ण सत्य से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है। प्याज के छिल्कों की तरह अब सच धीरे-धीरे सामने आने लगा है और कहानी के कई कोण उभरने लगे हैं। क्या यह सारा प्रकरण लड़कियों को ब्लैकमेल करने के लिए किया गया। अब एक और अन्य लड़की का वीडियो मिलने से पुलिस की कहानी फीकी पड़ती जा रही है। इसके संकेत इस पूरे प्रकरण से मिल चुके हैं लेकिन जो भी हुआ वह शिक्षा के क्षेत्र में काफी शर्मनाक और दुखद है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जिस तरह का वातावरण सृजन हो रहा है। वह न केवल हमारी युवा पीढ़ी के लिए बल्कि समाज के लिए भी घातक साबित हो रहा है। कौन नहीं जानता कि पंजाब के विश्वविद्यालय में और कॉलेज कैंपस में किस तरह का वातावरण उच्च शिक्षा के परिसरों में न केवल ड्रग्स उपलब्ध है बल्कि युवा पीढ़ी कई तरह के व्यसनों की शिकार है। इस प्रकार की रिपोर्टें मिलती रही हैं कि एक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के होस्टल में हथियार बरामद हुए और वहां से कुछ अवांछित तत्वों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन ऐसी खबरें भी दबा दी जाती हैं क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन का दबदबा हर जगह है। इस यांत्रिक युग ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण को पूरी तरह प्रदूषित कर दिया। जहां एक ओर तकनीकी क्षेत्र में हमारा उत्थान हुआ है वहीं दूसरी ओर हमारा नैतिक रूप से पतन भी हुआ है।
युवा पीढ़ी का मस्तिष्क इतना प्रदूषित हो गया है कि भौतिक सुखों के लिए अर्थ की प्राप्ति को ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य समझने लगा है। आज के युग में मोबाइल ने जिन्दगी में एक खास जगह बना ली है। शिक्षा प्राप्त कर रहे युवक-युवतियां हो या बेरोजगार युवा घंटों मोबाइल पर लगे रहते हैं। न जाने ऐसी कौन सी चिंता और ऐसा कौन सा विषय है जिस पर वह बातें करते हैं और कम्प्यूटर पर चैटिंग करने में बिता देते हैं। यह देखकर दुख होता है कि युवा नवीनतम संचार उपकरणों का गुलाम हो चुका है। यह फैसला करना मुश्किल हो गया है उत्पाद हमारे लिए है या हम उत्पादों के लिए। समाज में अधिकतर लोग यह मानने लगे हैं कि कम्प्यूटर इंटरनेट और मोबाइल ने समाज को बिगाड़ कर रख दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि आज मानव ने विज्ञान तकनीकी चिकित्सा आदि क्षेत्रों में बहुत अधिक तरक्की की है परन्तु यह भी वास्तविकता है कि अश्लीलता और अपराध भी निरंतर बढ़ रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में इंटरनेट पर अश्लील सामग्री की सहज उपलब्धता एक बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने आ खड़ी हुई है। एक के बाद एक एमएमएस स्कैंडल सामने आ रहे हैं। दरअसल समस्या यह भी है कि ​अभिभावक छोटी उम्र में ही बच्चों को स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने की अदतें डाल रहे हैं। इसका आगे चलकर बच्चों की मानसिकता पर गलत प्रभाव पड़ता है। स्मार्ट फोन पर आसानी से उपलब्ध अनुचित सामग्री से बच्चों को दूर रखना बहुत मुश्किल है। आज के बच्चे किशोर तो होते ही नहीं बल्कि बचपन से सीधे युवा हो रहे हैं। सोशल साइटों पर और अन्य वैबसाइटों पर उपलब्ध अश्लील सामग्री का प्रभाव तीन स्तरों पर पड़ता है। पहला अभिभावक या परिवार के स्तर पर, दूसरा शिक्षा के परिसरों पर, तीसरा समाज के स्तर पर। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में जो कुछ भी हुआ वह ऐसे ही प्रभाव का संकेत देता है। बेटियों का सम्मान उनकी गरिमा उनकी प्रतिष्ठा हमारा दायित्व है। ऐसी घटनाएं भविष्य में न हो, इसके लिए युवाओं की ​चेतना को विकसित करना, उन्हें सही संस्कार देना अभिभावकों की जिम्मेदारी है। वहीं यूनि​वर्सिटी प्रशासन को भी ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। दूध का दूध और पानी का पानी होना ही चाहिए।

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