सोमवार को हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा में करीब 80 गाड़ियों को फूंक दिया गया । हिंसा इतनी भयानक थी की करीब चार लोगों की मौत ह चुकी है और 50-60 लोग बुरी तरह घायल हुए है। ब्रजमंडल यात्रा को दौरान दो गुटों में लड़ाई हुई इसके बाद छोटी ली लड़ाई ने बड़ी हिंसा का रुप ले लिया। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें की नूंह में कोई पहली बार हिंसा नहीं हुई है। बल्कि इससे पहले भी हरियाणा के नूंह में हिसा हुई है। आपको हैरानी होगी की नूंह में बीते छह महीने के अंदर तीसरी बार बावाल हुआ है।
पहले भी कई बार हो चुकी है नूंह में हिंसा
20 फरवरी को नूंह के खेड़ा खलीलपुर गांव में में मामूली बात पर दो समुदाय के लोगों में हिंसक झड़प शुरू हो गई। इस झड़प में दोनों तरफ से जमकर पथराव हुआ था। इस हिंसा में 73 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसके बाद राजस्थान के जुनैर-नासिद की हत्या मामले में पुलिस की कार्रवाई के बाद फरवरी 2023 में दो समुदाय के बीच लड़ाई हुई। 25 फरवरी को एक समुदाय ने अलवर-नूंह हाईवे पर प्रदर्शन किया जिसके बाद माहौल बिगड़ने लगा। तब 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस हिंसा के बाद सोमवार को तीसरी बार दो गुटों में हिंसा हुई।
नूंह में हथियार ड्रग्स और गौ तस्करी होती थी
हिंसा के बाद नूंह में पैरा मिलिट्री फोर्स की 3 कंपनियों को तैनात किया गया है। सरकार ने हालात को काबू में रखने के लिए पलवल के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को नूंह एसपी का एडिशनल चार्ज सौंपा है। तीन बार हुई हिसा की वजहो के बारे में बात करे तो मिश्रित आबादी, राजस्थान का बॉर्डर- हरियाणा का नूंह राजस्थान बॉर्डर से सटा है। जो पहले तस्करी के लिए मेन रास्ता था। आपको बता देम नूंह कोई साधारण जगह नहीं है यहां से हथियार ड्रग्स और गौ तस्करी भारी पैमाने पर होती थी।
नूंह में मुसलमानों की आबादी अधिक
दूसरा यहां मुसलमानों की आबादी करीब 79 प्रतिशत है, जबकि हिंदू आबादी 20 प्रतिशत के आसपास है। नूंह में काफी कम पढे लिखे लोग है इसलिए वो हिंसा जैसी वारदात में शामिल रहते है। 2014 के बाद इन इलाकों में गोरक्षा के नाम पर कई संगठन एक्टिव हो गए जिसके बाद यह इलाका सुर्खियों में रहता रहता है।
गोरक्षकों से होती है नोकझोक
कहा जाता है कि गोरक्षकों की वजह से यहां का मुसलमान खुद को असुरक्षित मानता है। जिसकी वजह से दो गुटों में हिंसा होती है। यहां पिछले 5 साल में मेवात से मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं सामने आई है इसके बाद से ही नूंह की गिनती संवेदनशील इलाकों में होने लगी ।
हिंसा को नहीं रोक पाती पुलिस
वहीं हिंसा को लेकर ये भी कहा जाता है कि जब नूंह में हिंसा होती है तो पुलिस वहा स्थिती को संभाल नहीं पाती इसलिए भी बार बार हिंसा होती है। इसी तरह मेवात में भी हिंसा होती है यहां मेव यानी मेवात समुदाय के लोग रहते हैं। हरियाणा के नूंह में ये बड़ी संख्या में रहते हैं। नूंह रहने वाले मुस्लिम समुदाय के ये लोग मेवाती बोलते हैं। मेव अपने धर्म इस्लाम को मानते है। इन सभी वजहों से नूंह बार बार हिंसा का शिकार हो जाता है । बीते सोमवार को हुई हिंसा अब तक हुई हिंसा से बड़ी थी। जिसमें कई पुलिस वालों की मौत हो चुकी है।
बीते सोमवार को तीसरी बार हुई हिंसा
बता दें हरियाणा के नूंह में विश्व हिंदू परिषद की ब्रजमंडल यात्रा पर पथराव के बाद हिंसा हुई । पथराव के बाद हुई हिंसा में करीब 80 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। इतना ही नहीं पुलिस कर्मियों पर भी हमला किया गया जिसमें अब तक दो होम गार्ड्स समेत तीन की मौत हो चुकी है।हालात पर काबू पाने के लिए इलाके में पैरामिलिट्री फोर्स की 20 कंपनी तैनात किया गया है । नूंह, रेवाड़ी, गुड़गांव, पलवल और फरीदाबाद में धारा 144 लागू है। मोबाइल इंटरनेट बंद है। नूंह गुरुग्राम और फरीदाबाद में मंगलवार को स्कूल-कॉलेज बंद हैं। हालांकी राज्य सरकार हिंसा करने वाले आरोपियों की पहचान कर रही है।