हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में अपनी सज़ा पूरी कर दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हो गए है। कोरोना महामारी की वजह से चौटाला पहले ही जेल से बाहर हैं, लेकिन उनकी औपचारिक रिहाई आज 2 जुलाई को हुई है। शुक्रवार सुबह चौटाला तिहाड़ जेल पहुंचे, जहां से रिहाई की औपचारिकता पूरी होने के बाद वह गुरुग्राम में अपने घर के लिए रवाना हुए।
शिक्षक भर्ती घोटाले में चौटाला को 2013 में दस साल की सज़ा मिली थी। सज़ा में छूट के प्रावधान की वजह से उनकी सज़ा पूरी हो गई है, चौटाला के स्वागत में हजारों की तादाद में इनेलो के कार्यकर्ता दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर हुए। पांच बार विधायक रह चुके चौटाला 1989 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे।
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी ने गुरुवार को चौलाटा की रिहाई के बारे में जानकारी दी थी, उन्होंने कहा था कि चौटाला 10 साल कैद की सजा काट रहे हैं और इस समय पैरोल पर जेल से बाहर हैं। राठी बयान के बयान में कहा गया, ‘‘ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला अपने पोते करण चौटाला (अभय चौटाला के बेटे) के साथ शुक्रवार सुबह अपनी रिहाई की कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए तिहाड़ जेल जाएंगे। कागजी कार्रवाई करने और रिहाई पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद चौटाला अपने गुरुग्राम स्थित आवास पर जांएगे।’’
राठी ने बताया था कि पूरे राज्य से पार्टी के कार्यकर्ता दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर अपने नेता का स्वागत करने के लिए एकत्र होंगे। राठी ने दावा किया कि इसके साथ ही हरियाणा की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के लोग बेसब्री से इनेलो सुप्रीमो की रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने पिछले महीने आदेश पारित कर कोविड-19 महामारी के चलते जेलों में भीड़ कम करने के इरादे से ऐसे कैदियों की छह महीने की सजा माफ कर दी थी जिन्होंने 10 साल की कैद में से साढे़ नौ साल की सजा काट ली है।
86 वर्षीय चौटाला पहले ही साढ़े नौ साल की सजा पूरी कर चुके हैं और ऐसे में वह रिहा होने की अर्हता रखते हैं। इससे पहले शिक्षक भर्ती घोटाले में वर्ष 2013 से कैद की सजा काट रहे चौटाला 26 मार्च 2020 से ही कोविड-19 आपात पैरोल पर जेल से बाहर हैं। उन्हें 21 फरवरी 2021 को आत्मसमर्पण करना था लेकिन कोर्ट ने पैरोल की अवधि बढ़ा दी। वर्ष 2000 में गैर कानूनी तरीके से 3,206 जूनियर बेसिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में अदालत ने चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और आईएएस अधिकारी संजीव कुमार सहित 53 अन्य को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।