केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय में 59,331 मामले और उच्च न्यायालयों में 43.55 लाख मामले लंबित हैं। लोकसभा में अदूर प्रकाश और बीएम टैगोर के प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रसाद ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘देश के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी नहीं है।
उच्चतम न्यायालय वर्ष 2009 के बाद पहली बार 31 न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण संख्या पर पहुंच गया है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘एक जुलाई, 2019 की स्थिति के अनुसार उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की 403 रिक्तियां हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक जुलाई, 2019 की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में 59331 मामले और उच्च न्यायालयों में 43.55 लाख मामले लंबित हैं।’’
एनपीए की स्थिति में सुधार का प्रयास : वित्त मंत्री सीतारमण
न्यायपालिका में आरक्षण के मुद्दे पर कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि ‘आर्टिकल 235 के मुताबिक, राज्यों में जिला और सबऑर्डिनेट ज्यूडिशरी के सदस्यों पर प्रशासनिक अधिकार वहां के उच्च न्यायालय का होता है। उच्च न्यायालय के जजों की नियुक्त का अधिकार चीफ जस्टिस के पास होता है। इसके अलावा राज्य सरकारें उच्च न्यायालय के साथ राय सलाह कर नियुक्ति, प्रमोशन और आरक्षण के लिए नियम बनाती हैं। इसलिए केंद्र सरकार का इसमें कोई रोल नहीं है’।