सोमवार को Artice-370 पर आया SC का फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। इस पर पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोल डाला। हिना रब्बानी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कई देश अब भारत के ‘कपटी’ व्यवहार का अनुभव कर रहे हैं। भारत ने अपने सर्वोच्च न्यायालय के घरेलू अदालत के फैसले का इस्तेमाल कर के शर्मनाक काम किया है।
हाइलाइट्स
- Article-370 पर आए SC के फैसले से पाकिस्तान को बड़ा झटका
- पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने एक्स पर किया भारत का विरोध
- हिना रब्बानी ने भारत को बताया ‘कपटी’
Many countries are now experiencing first hand the ‘rogue’ behaviour of India. India s effort to use domestic court verdict of its Supreme Court to try and supersede United Nations Security Council Resolutions and its international obligations on Kashmir is shameful.
— Hina Rabbani Khar (@HinaRKhar) December 11, 2023
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लेकर क्या कहा ?
हिना रब्बानी ने लिखा कि मैं याद दिलाना चाहती हूं कि भारत जम्मू और कश्मीर के फैसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया था। इस पर कोई भी घरेलू कार्रवाई, जो पूरे राज्य या उसके किसी हिस्से के भविष्य के बारे में की गई हो वो मान्य नहीं होता है।
It is also worth reminding that it was India that took the matter of Kashmir to the United Nations Security Council. If anyone has any doubts on what the UNSC resolution says,
— Hina Rabbani Khar (@HinaRKhar) December 11, 2023
‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले नहीं मानते’
इससे पहले विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने भी इसी तरह का बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान, भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हरगिज नहीं मानता है। जिलानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले की कानूनी मान्यता नहीं है। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त विवाद है जो पिछले सात दशकों से सुरक्षा परिषद के एजेंडे का हिस्सा है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट ?
सोमवार यानी 11 दिसंबर को शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और घाटी से केंद्र के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वैध बताया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिए जाने और 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव करने का भी आदेश दिया था। इसके अलावा लद्दाख को वर्तमान की तरह केंद्र शासित प्रदेश बनाए रखने की भी बात कही थी।
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