रायपुर : कांग्रेस द्वारा तेंदूपत्ता खरीदी में 300 करोड़ के घोटाले के आरोप पर वन मंत्री महेश गागड़ा ने पलटवार करते हुए कहा है कि पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए बेबुनियाद और सनसनीखेज आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भूपेश शुक्रवार को दिल्ली जा रहे हैं वहां राहुल गांधी के सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए ही उन्होंने ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।
महेश गागड़ा ने कहा कि तेंदुपत्ता खरीदी प्रक्रिया के तहत ही होती है। भूपेश खुद मंत्री रहे हैं उन्हें नियम प्रक्रिया अच्छे तरह से मालूम हैं। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल ये क्यों नहीं बताते कि पिछले साल तेंदूपत्ता का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 1800 रुपये था और अब 2500 रुपये है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपना जनाधार सरगुजा बस्तर से खो चुकी है, अब ऐसे आरोप लगाकर वो अपना खिसक चुके जनाधार को पाने की कोशिश कर रही है।
महेश गागड़ा ने कांग्रेस के ऊपर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस और नक्सलियों के बीच सांठ-गांठ है। नक्सलियों की पांच मांगें कांग्रेस की मांग में सबसे ऊपर रहती है। कांग्रेसी अपने रैली में जो आरोप सुरक्षा बलों के ऊपर लगाते हैं वही नक्सली भी लगाते हैं। बस्तर के लोग कांग्रेस को अच्छी तरह से जान चुके हैं कि वे किसके साथ है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ के अधिकारियों ने बताया कि तेन्दूपत्ते की अग्रिम नीलामी में सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।
इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है। अग्रिम निविदा प्रक्रिया ऑनलाइन होने के कारण पूर्ण रूप से पारदर्शी है। निविदाओं का गहन अध्ययन और उनमें प्राप्त दरों का परीक्षण और अनुमोदन राज्य शासन के स्तर पर गठित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की अंतर्विभागीय समिति द्वारा किया जाता है। सीमावर्ती राज्यों -मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलांगाना, झारखण्ड और आंधप्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ राज्य में इस वर्ष सर्वाधिक 5847 रूपए प्रति मानक बोरे की अग्रिम विक्रय दर प्राप्त हुई है।
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