केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य हैं और सरकार वहां चुनाव कराने के लिए तैयार है इसलिए चुनाव आयोग जब चाहे राज्य विधानसभा के चुनाव करवा सकता है। गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ने के लिए लोकसभा में पेश सांविधिक संकल्प और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में आतंकवाद अंतिम दौर है और सुरक्षा की स्थिति अनुकूल है इसलिए आयोग जब चाहे जम्मू कश्मीर विधानसभा के निष्पक्ष चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर सकता है।
इसके साथ ही सदन ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह और बढाने तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जुलाई को समाप्त हो रही थी लेकिन इस संकल्प के पारित होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जुलाई से छह माह के लिए और बढ जाएगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने राज्य में पंच और सरपंचों के 40 हजार पदों के लिए चार हजार से ज्यादा गांवों में शांतिपूर्ण चुनाव कराए हैं और कहीं कोई हिंसा नहीं हुई है। इससे साफ है कि वहां व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है और इस व्यवस्था में राज्य विधानसभा के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से कराए जा सकते हैं।
लोकसभा के साथ राज्य विधानसभा के चुनाव नहीं कराए जाने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकसभा की सिर्फ छह सीटें हैं और विधान सभा की इसकी तुलना में बहुत अधिक सीटें हैं इसलिए सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए वहां एक साथ चुनाव नहीं कराए गए लेकिन अब लोकसभा के चुनाव पूरे होने के बाद आयोग जब चाहे वहां विधानसभा चुनाव की तारीख तय कर सकता है।
अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अराजकता पैदा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग राज्य में हिंसा फैलाना चाहते हैं और वहां अशांति को बहाल रखना चाहते हैं उनके भीतर भय का माहौल है और आने वाले समय में यह भय और बढेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर को मुख्य धारा में लाने के लिए कई कदम उठा रही है और इस राज्य को आगे बढाने के लिए पिछले पांच साल से लगातार प्रयास हो रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने सात नवंबर 2015 को इस राज्य के लिए 80 हजार करोड रुपए का ऐतिहासिक पैकेज दिया है और इससे राज्य में चौतरफा विकास संभव हुआ है। इसक पैकेज के तहत वहां 63 बड़ परियोजनाएं चल रही हैं जिसके तहत 16 सड़कों का निर्माण, दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एक आईआईएम, एक आईआईटी सहित कई विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है।
जम्मू कश्मीर के विकास में धारा 370 का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि जब देश आजाद हुआ था तो सभी रजवाड़े का विलय भारत में किया गया लेकिन जम्मू कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री तथा अलग संविधान की व्यवस्था की गयी। इसी क्रम में वहां कुछ लोगों को खुश रखने के लिए धारा 370 लागू की गयी जबकि अन्य किसी रियासत के साथ इस तरह की संधि नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखने की बात है कि धारा 370 स्थायी व्यवस्था नहीं है। यह पूरी तरह से अस्थायी व्यवस्था है। यह संविधान की व्यवस्था के तहत लागू अस्थायी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि उनकी सोच में जम्मू कश्मीर को लेकर किसी तरह का बदलाव नहीं आया है और जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को बहाल करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है और यह बनी रहेगी।
गृहमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का संकल्प जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को समाप्त करना है। राज्य में आतंकवाद का सफाया और शांति बहाली उनकी सरकार की प्राथमिकता है और उन्हें पूरा भरोसा है कि सदन के सभी सदस्य दलगत राजनीति से उठकर इस मुद्दे पर सरकार का साथ देंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य में आतंकवाद खत्म करने के लिए 23 हजार 700 करोड रुपए की व्यवस्था की है इस राशि के जरिए सुरक्षा एजेंसियों की सभी मांगों को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल वहां शांति बहाली के लिए जो भी मांग रखते हैं उनकी सरकार उस मांग को प्राथमिकता के साथ पूरा करती है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की चपेट में है और इसे रोकने के लिए जो भी कदम उठाने पड़गे सरकार उठाएगी और वहां शांति स्थापित करेगी। वहां सीसीटीवी कैमरा, अत्याधुनिक बंदूकें तथा अन्य जो भी जरूरत होगी और जिसकी भी मांग सुरक्षा बल तथा सुरक्षा एजेंसियां करेंगी उस मांग को प्रमुखता के साथ पूरा किया जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा। आतंक फैलाने वालों को कठोर सजा दी जाएगी। देश विरोधी बात करने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा और जो टुकडा टुकडा गैंग देश को विभाजित करने की बात कर रहा है उसके साथ सख्ती से पेश आएंगे इसलिए इस तरह के लोगों को संभलना चाहिए और देश विरोधी बात करने से डरना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अलगाववाद फैलाने और जम्मू कश्मीर में आग लगाने वालों को आगे इस तरह का और कोई मौका नहीं दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर के हित में यही होगा कि वहां कश्मीरियत बनी रहनी चाहिए और हिंसा फैलाने तथा इसके भडकाने वाले तत्वों को अपनी करतूत बंद कर देनी चाहिए।