भोपाल : मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर अशासकीय स्कूल शासन पर गलत नीतियों और इंदौर बस हादसे के बाद बेजा सख्ती का आरोप लगाते हुए बंद रखे गए। प्रदेश में प्राइवेट स्कूल ऐसोसिएशन ने 23 जनवरी को प्रदेश भर में निजी स्कूल बंद रखने की अपील की थी। ऐसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि इंदौर स्कूल बस हादसे के बाद प्रशासन बेजा सख्ती बरत रहा है और इसके चलते स्कूलों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं।
इसी के चलते आज प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर समेत कई स्थानों पर बहुत से निजी स्कूल बंद रहे।राजधानी भोपाल में हालांकि दिल्ली पब्लिक स्कूल की दो शाखाओं को छोड़कर अन्य सभी स्कूलों ने इस बंद से खुद को अलग कर लिया। राजधानी के सभी बड़े स्कूल आज खुले हुए हैं।
व्यावसायिक नगरी इंदौर के करीब 400 से भी ज्यादा स्कूल आज बंद रहे। मध्यप्रदेश प्राइवेट स्कूल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल सोनी ने कहा कि शासन अपने नियम तय करे और उनके पालन के लिए एक महीने का समय दे। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा कार्यवाही में स्कूलों के रोजमर्रा के चालन में परेशान आ रही है। वहीं सीबीएसई स्कूलों के संगठन सहोदय के अध्यक्ष अनिल धूपर ने आरोप लगाया कि प्रशासन को अपने नियम निर्धारित करने के लिए ही संगठल लंबे समय से ज्ञापन दे रहा है।
उन्होंने शासन पर आधे-अधूरे नियम बनाने का आरोप भी लगाया। वहीं उज्जैन जिले के अशासकीय स्कूल भी आज बंद रहे। अशासकीय शाला प्रतिनिधि संगठन इस मौके पर आज अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपेगा। संगठन प्रवक्ता जितेन्द, शिन्दे के मुताबिक अशासकीय शालाओं में शासन की नीति के अनुसार आईटीई के तहत निशुल्क विद्यार्थी अध्ययनरत है, जिसकी फीस प्रतिपूर्ति शासन द्वारा दो साल से नहीं की गई है।
अधिकांश विद्यालयों में बच्चे स्वयं के वाहनों या उनके अभिभावकों द्वारा निर्धारित साधनों से आते है। इसमें स्कूल कोई संबंध नही होता है, उसके बाद भी दुर्घटना होने पर शालाओं को जिम्मेदार ठहराना अनुचित है। प्रदेश के इंदौर में पांच जनवरी को दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक बस हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें चार बच्चों और बस के चालक की घटनास्थ्ल पर ही मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद से प्रदेश भर में स्कूली बसों की चेकिंग की जा रही थी। वहीं प्रशासन ने स्कूलों से संबंधित कई अन्य पहलुओं पर भी कड़ाई से जांच शुरु कर दी थी।
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