UCC Bill : समान नागरिक संहिता बिल उत्तराखंड में लागू हो चुका है। बता दें कि ये कानून सबसे पहले भारत में गोवा में लागू हुआ था, जिसे 1867 में पुर्तगालियों द्वारा लागू किया गया था। अब उत्तराखंड में यूसीसी बिल (UCC Bill) लागू होने बाद सम्भावना ये है की ये कानून देश के अलग-अलग राज्यों में भी लागू हो सकता है। केंद्र सरकार फिलहाल इस पर विचार कर रही है। इस कानून के लागू होने से सबसे ज्यादा बदलाव मुस्लिम महिलाओं पर पड़ेगा। इसके साथ ही मुस्लिम के शरीयत क़ानून को यह चुनौती देगा।
Highlights
- शरीयत कानून में लड़कियों की शादी की उम्र 13 साल
- UCC Bill में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल
- UCC Bill में पॉलीगेमी असंवैधानिक
क्या है शरीयत कानून ?
शरीयत, जिसे शरीया कानून और इस्लामी कानून भी कहा जाता है। इस कानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है। पहला इस्लाम का पन्थग्रन्थ क़ुरआन है और दूसरा इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं। इस कानून बनाने की प्रक्रिया को ‘फ़िक़्ह’ कहा जाता है। शरीयत में स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि, व्रत विधि, विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था जैसे अनेक विषयों पर कानून बनाए गए है।
क्या शरीयत कानून है लोकतंत्र के विरुद्ध ?
बता दें कि शरिया कानून में से कुछ प्रथाएं मानवाधिकार का उल्लंघन है जैसे मानवाधिकार, विचार की स्वतंत्रता, महिलाओं के अधिकार, एलजीबीटी अधिकार जैसे मामलें में शरीयत कानून हमेशा से विवादों में रहा है।
UCC लागू होने से बदलेंगे ये शरीयत कानून
- शरीयत कानून के अनुसार लड़कियों को 13 साल की उम्र के बाद शादी के योग्य मन जाता है। जबकि भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल है। वही यूसीसी (UCC Bill) लागू होने से मुस्लिम समुदाय की लड़कियों की शादी की उम्र 18 और लड़कों की 21 होगी।
- शरीयत कानून के अनुसार बहु-विवाह वैध है जबकि भारत में बहु-विवाह यानी पॉलीगेमी को असंवैधानिक है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC Bill) लागू होने के बाद सभी धर्मो में बहु-विवाह यानी एक से ज्यादा शादी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगेगा।
- शरीयत कानून में निकाह-हलाला का प्रावधान है यानी अगर कोई मुस्लिम महिला तलाक के बाद अपने पति से वापस दूसरी बार शादी करना चाहती है तो उसे पहले हलाला यानी तीसरे मर्द से शादी करनी होती है। यूसीसी लागू (UCC Bill) होने के बाद इस प्रथा पर प्रतिबन्ध लगेगा। वही ऐसा करने के लिए मजबूर करने पर आरोपी को 3 साल की कैद से लेकर 1 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- शरीयत कानून के अनुसार मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा किसी को दे सकता है, जबकि बाकी का हिस्सा उसके परिवार को मिलेगा। अगर कोई वसीयत नहीं है तो संपत्ति का बंटवारा कुरान और हदीद में बताए गए नियमों के मुताबिक होगा। लेकिन यूसीसी (UCC Bill) के बाद जरूरी नहीं है कि अपनी संपत्ति का तिहाई हिस्सा किसी को देना पड़े।
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