नैनीताल : पांच वर्ष पूर्व हल्द्वानी के शीशमहल में हुए बहुचर्चित कशिश दुष्कर्म व हत्याकांड के मुख्य आरोपी की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। निचली अदालत पूर्व में ही आरोपी को फांसी की सजा सुना चुकी है। बता दें कि वर्ष 2014 में काठगोदाम थाना अंतर्गत शीशमहल क्षेत्र में पिथौरागढ़ से एक बच्ची आई थी। 20 नवंबर को विवाह समारोह के लिए यहां आई बच्ची अचानक लापता हो गई। काफी दिनों तक उसकी खोजबीन की गई।
काठगोदाम व गौलापार के बीच के जंगलों में पुलिस ने सघन चेकिंग अभियान चलाया। कुछ दिन 25 नवंबर 2014 को शीशमहल के पार तथा गौला नदी से लगे जंगल में बच्ची का शव बरामद हुआ था। पुलिस के खुलासे में पता चला कि नाबालिग बच्ची के साथ ट्रक ड्राइवर अख्तर अली व उसके साथियों ने रेप किया था। बाद में हत्या कर शव को झाडियों में फेंक दिया। हत्यारोपियों को पकडने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।
इधर लोगों में भी घटना का खुलासा न होने को लेकर खासा आक्रोश था, लोग सड़कों पर उतर आए थे, शहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस मामले में पुलिस ने ट्रक चालक अख्तर समेत तीन को आरोपी बनाया था। इनमें से जूनियर मैसी को अदालत ने बरी कर दिया था। वहीं जिला एवं सत्र न्यायालय की अदालत ने मुख्य आरोपी अख्तर को ने मृत्युदंड और दूसरे आरोपी प्रेम पाल को पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।
इधर शुक्रवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा है। न्यायधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह व न्यायधीश न्यायमूर्ति रविन्द्र नैथानी की खंडपीठ ने आरोपी की ओर से जिला कोर्ट के निर्णय के खिलाफ दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के बाद निचली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और निचली कोर्ट के फैसले को यथावत रखा।
फैसले से परिजन संतुष्ट : कोर्ट के फैसले से लाडली के परिजन संतुष्ट हैं। फैसले के बारे में सुनकर बच्ची की मां की आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में जल्द निर्णय होना चाहिए। यह फैसला दूसरों के लिए भी सबक बनेगा। परिवार के सदस्य बोले कि फैसले के इंतजार में उन्हें लंबा मानसिक कष्ट झेलना पड़ा। इस हत्याकांड के बाद उत्तराखंड में लोगों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए थे। विरोध जताते हुए हल्द्वानी और रुद्रपुर के वकीलों ने आरोपियों का केस लड़ने से इनकार कर दिया था।