पश्चिम बंगाल में हाल के उपचुनावों से दूर रही कांग्रेस पार्टी ने 30 अक्टूबर को होने वाले राज्य में अगला उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। हाल के उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस को वॉकओवर (आसानी से जीत हासिल करना) देने के बाद कांग्रेस ने अब आगामी चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर ली है। वॉकओवर के संदर्भ में अगर सरल शब्दों में कहें तो कांग्रेस के उम्मीदवार नहीं उतारने का तृणमूल को सीधे तौर पर फायदा हुआ था और उसे उपचुनाव में सभी सीटें जीतने में कामयाबी भी मिली।
उम्मीदवारों की घोषणा नामांकन के अंतिम दिन से पहले की जाएगी
पश्चिम बंगाल की चार सीटों दिनहाटा (कूचबिहार), शांतिपुर (नादिया), खरदाहा (उत्तर 24 परगना) और गोसाबा (दक्षिण 24 परगना) में उपचुनाव होने हैं। राज्य में और उसके बाहर टीएमसी द्वारा उसके नेताओं को अपने दल में शामिल करने से नाराज कांग्रेस ने बुधवार को यहां बैठक की और आगामी उपचुनाव लड़ने का फैसला किया। बैठक में पश्चिम बंगाल के नेताओं और एआईसीसी पदाधिकारियों ने भाग लिया। संभावना है कि उम्मीदवारों की घोषणा नामांकन के अंतिम दिन से पहले की जाएगी, जो कि 8 अक्टूबर को है।
कांग्रेस पार्टी दलबदल के लिए तृणमूल कांग्रेस की रणनीति से खफा
कांग्रेस पार्टी दलबदल के लिए तृणमूल कांग्रेस की रणनीति से खफा है। इसके दो वरिष्ठ नेता – गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो और सुष्मिता देव पहले ही टीएमसी में शामिल हो चुके हैं। दिनहाटा और शांतिपुर निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव इसलिए आवश्यक हो गए हैं, क्योंकि भाजपा के दो मौजूदा सांसदों – निसिथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार ने इस साल के शुरू में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद संबंधित सीटों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं खरदाहा और गोसाबा में टीएमसी विधायकों की मौत के बाद उपचुनाव हो रहे हैं।
उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी
पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे और ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को वॉकओवर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भवानीपुर उपचुनाव में 84,709 वोट हासिल किए और उन्होंने भाजपा की प्रियंका टिबरेवाल को बड़े अंतर से मात दी, जिन्होंने 26,350 वोट हासिल किए थे। जबकि सीपीआई-एम के श्रीजीब विश्वास केवल 4,201 वोट हासिल करने में सफल रहे।
राज्य से कांग्रेस के पास सिर्फ एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद
जंगीपुर और समसेरगंज में भी तृणमूल ने सहज अंतर से जीत दर्ज की। कांग्रेस, जिसने भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ा था, 2016 के चुनावों के बाद विधानसभा में 44 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन अब उसके पास कोई भी विधायक नहीं है और राज्य से उसके पास सिर्फ एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद ही है।