पश्चिम बंगाल में सियासी संग्राम चलता ही रहता है। राज्यपाल रहने के दौरान जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई बार टकराव हुआ था। इस समय जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बन गए है, लेकिन ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी आज भी अदावत चल रही है। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए तंज कसा है।
जगदीप धनखड़ करीब तीन साल तक गवर्नर थे
बता दे कि जगदीप धनखड़ ने आयोग की सालाना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल में कानून का शासन बिल्कुल भी नहीं है बल्कि शासक का कानून है। जगदीप धनखड़ करीब तीन सालों तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर थे। उस समय सीएम ममता बनर्जी के साथ कई मुद्दों पर बहस और टकराव हुआ था। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी में वीसी नियुक्त करने से लेकर कानून व्यवस्था के मामलों में भी दोनों के बीच टककराव दिखा। इस बीच एनएचआरसी के कार्यक्रम में चेयरपर्सन जस्टिस अरुण मिश्रा ने समान नागरिक संहिता की वकालत की गई थी।
भेदभाव नहीं होना चाहिए
इस मामले पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमें लैंगिक समानता स्थापित करने की जरूरत है। सभी के पास समान अधिकार होने चाहिए। किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। किसी को भी धर्म या परंपरा के नाम पर भेदभाव का शिकार नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए यह बहुत ज्यादा जरुरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड की दिशा में बढ़ जाए।संविधान का आर्टिकल 44 इसकी वकालत करता है। उन्होंने कई शहरों में पर्यावरण खराब होने को भी मानवाधिकार का उल्लंघन करारा दिया।