रामचरितमानस को बैन करने वाले सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों चर्चा कै केंद्र बने हुए है। रामचरितमानस को लेकर लगातार उनका विवाद बढता जा रहा है। लोग उन्हें पार्टी से नेिकालने के लिए कह रहे है बीतेे दिनों उनके खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए। लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कार्रवाई की बजाए उन्हें नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है। बता दें स्वामी प्रसाद मौर्य को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल यादव और आज़म खान के बराबर का पद दिया गया है। इसलिए पहले तो रामचरितमानस और अब उन्हे पार्टी में मिली बड़ी जिम्मेदारी के बाद उनका विरोध और बड़ जाएगा।
हिंदू समाज के लोग कर रहे है विरोध
हिंदू समाज के लोग रामचरितमानस को लेकर दिए बयान पर बेहद नाराज है। वहीं मौर्य को नई जिम्मेदारी तो लेकर कहा जा रहा है अखिलेश यादव ने अपनी मौन सहमति दे दी है। रामचरितमानस विवाद के बीच शनिवार को ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव से मुलाक़ात की थी। जिसके बाद उनेहें नई जिम्मेदारी दे दी गई है।
शिवापाल यादव को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी
समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव, आजम खान और स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा 11 अन्य लोगों को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। इस लिस्ट में रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव, विशम्भर प्रसाद निषाद, अवधेश प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजीलाल सुमन, लालजी वर्मा, रामचल राजभर, जे एंटोनी, हरेंद्र मलिक और नीरज चौधरी को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।
2024 के चुनाव से पहले अखिलेश की तैयारी
अखिलेश यादव जिन चाचा से नाराज रहते थे उन्हें समाजवादी पार्टी में आख़िरकार जिम्मेदारी मिल ही गई। अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया है। समाजवादी पार्टी की तरफ से जारी पार्टी की सूची में शिवपाल यादव का भी नाम है। बता दे शिवपाल यादव को एक समय में अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन नेता जी के निधन के बाद अखिलेश अपने चाचा को ही बड़ा मान रहे है। इसके साथ ही चौबीस का चुनाव भी होना है इसलिए भी दोनों एक साथ आ गए है। पहले तो शिवपाल सपा में आने से हिचकिचा रहे थे लेकिन अब वो पूरी तरह से भतीजे अखिलेश यादव के साथ है।