Unnao Rape Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने कुलदीप सेंगर की अंतरिम जमानत की अवधि घटाई - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Unnao rape case: दिल्ली हाई कोर्ट ने कुलदीप सेंगर की अंतरिम जमानत की अवधि घटाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई अंतरिम जमानत से संबंधित आदेश में शुक्रवार को संशोधन किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे भारतीय जनता पार्टी के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई अंतरिम जमानत से संबंधित आदेश में शुक्रवार को संशोधन किया। अदालत ने सेंगर को बेटी के ‘तिलक’ समारोह के बाद समर्पण करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि सेंगर को उसकी बेटी की शादी से पहले फिर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। अदालत ने पहले सेंगर को दो हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय को शुक्रवार सुबह सूचित किया गया कि सेंगर को तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है। इसके बाद उसने पीड़िता की याचिका पर सेंगर को दी गई अंतरिम जमानत से जुड़े आदेश में संशोधन किया। पीड़िता ने अपनी याचिका में यह कहते हुए सेंगर की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग की थी कि उसे और उसके परिवार को खतरा है। 
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बांबा की पीठ ने निर्देश दिया कि सेंगर एक फरवरी को जेल प्राधिकारियों के सामने समर्पण करेगा, क्योंकि उसकी बेटी का ‘तिलक’ समारोह 30 जनवरी को है। पीठ ने कहा कि सेंगर को छह फरवरी को एक बार फिर अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा किया जाए और वह 10 फरवरी को दोबारा समर्पण करे, क्योंकि उसकी बेटी की शादी आठ फरवरी को होना तय है। पीठ ने इससे पहले 16 जनवरी को सेंगर को उसकी बेटी की शादी के मद्देनजर 27 जनवरी से 10 फरवरी तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद पीड़िता ने कहा, “अगर कुलदीप सेंगर को जमानत मिलती है, तो मुझे और मामले के गवाहों को खतरा होगा। वहां के सभी सरकारी अधिकारी उसके नियुक्त किए हुए हैं। मेरी गुजारिश है कि उसे रिहा न किया जाए, वरना वह मुझे मरवा भी सकता है।” 
पीड़िता की ओर से पेश अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि सेंगर जब हिरासत में था, तब भी सुरक्षा को लेकर आशंकाएं थीं और आमतौर पर कैदियों को शाम को जेल से रिहा किया जाता है, लेकिन सेंगर को सुबह जल्दी रिहा कर दिया गया, जो उसकी ताकत को दर्शाता है। वहीं, सेंगर की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद दुबे ने पीड़िता की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अदालत ने उनके मुवक्किल को राहत देते समय पर्याप्त शर्तें लागू की हैं और वह अंतरिम जमानत की अवधि घटाने के बजाय उससे (सेंगर से) अपने घर में ही रहने के लिए कह सकती है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पहले सेंगर की बेटी की शादी के तथ्य को सत्यापित किया था। हालांकि, बाद में उसने नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में अदालत से कहा था कि वह अंतरिम जमानत से संबंधित आदेश पर पुनर्विचार कर सकती है और उसे वापस ले सकती है।
उन्नाव दुष्कर्म मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की याचिका उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। भाजपा के निष्कासित नेता ने निचली अदालत के दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द करने की अपील की है, जिसने उसे नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई है। इसके अलावा, 13 मार्च 2020 को अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर और पांच अन्य को भी इस मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी।

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