एक माँ और बच्चे का रिश्ता इतना अनोखा होता हैं की कोई भी उस रिश्ते के बराबर हो ही नहीं सकता क्योकि एक बच्चे से बाकि सब का रिश्ता जब बंधता हैं जब वह दुनिया में आता हैं लेकिन एक माँ से बच्चे का रिश्ता तभी से जुड़ जाता हैं जब से वह माँ के पेट में आता हैं। लेकिन क्या हो जब आप सुने की एक माँ ने अपने ही बच्चे को सालो से जंजीरो में बांध रखा हैं?
ये किस्सा हैं पंजाब के होशियारपुर के गांव दसूहा के देपुर में एक गरीब मां को जिसे अपने ही जने हुए बेटे के साथ ऐसा करना पड़ गया। ये माँ इस कदर लाचार हो चुकी हैं की वह अपनी मदद तक नहीं कर पा रही। अपने ही हालातों से परेशान एक मां नर्क भरी जिंदगी जीने पर मजबूर है लेकिन कोई उसकी गुहार नहीं सुन पाया। करीब 70 साल की इस बुजुर्ग महिला का कोई सहारा नहीं है और जिन बच्चों को सहारा बनना था वे खुद अपनी मां के सहारे आज जिन्दा हैं।
दरहसल, कहानी कुछ ऐसी हैं कि 70 वर्षीय बुजुर्ग मां की 48 बरस की औलाद दिमागी तौर पर बीमार है जिस कारण वह नार्मल इंसानो की तरह नहीं हैं। और यही कारण हैं कि इस माँ को अपने ही बच्चे को जंजीरो से बांधकर रखना पड़ता हैं। सत्या देवी नाम की बुजुर्ग का कहना है कि अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो उसका बेटा उसके साथ तो मारपीट करता ही है, वह खुद को भी चोट पहुंचता है।
उनका नसीब इस कदर खराब हैं की कई सालो पहले उनका एक मात्र सहारा उनके पति की भी मौत हो गई। जिसके बाद घर से लेकर बच्चो तक की सभी ज़िम्मेदारियाँ सत्या देवी पर आ गई। कहने को तो सत्या देवी के दो बच्चे भी हैं, एक बेटा और एक बेटी। जिसका नाम दर्शन सिंह हैं और उसकी उम्र 48 साल है, लेकिन साथ ही वह दिमागी रूप से स्टेबल नहीं हैं और उसे 7 सालों से जंजीरों में बांधकर रखना पड़ रहा है।
वही बात करे अब दूसरी बेटी, की तो उसका नाम ममता हैं। जिसके बारे में बात करते हुए सत्या देवी ने बताया कि बेटी की शादी कर देने के बाद वह ससुराल में रही लेकिन उसके भी पति की मौत हो जाने के बाद बेटी का दिमागी संतुलन कुछ ठीक नहीं रहा और वह भी दिमाग रूप से परेशांन रहने लगी। और उसके बाद बेटी के ससुरालवाले भी उसे यहां छोड़ गए।
पंजाब सरकार से लगाई गुहार
आगे बताते हुए सत्या देवी ने बताया की उन्होंने कई बार ग्राम पंचायत से भी मदद की गुहार लगाई थी लेकिन उनकी ओर से महिला को कोई सहारा प्राप्त नहीं हुआ। बुजुर्ग महिला अब पंजाब सरकार से मदद की गुहार लगा रही है। इस आस में कि शायद उसके हालातों में थोड़ा सा सुधार हो सके। देखना ये होगा कि अब इस लाचार मां को सरकार से मदद पाने के लिए और कितना लंबा इंतजार करना होगा।