International Nelson Mandela Day: 18 जुलाई को हर साल क्यों मनाते है ये दिन? जानिए क्या है इसका मकसद... - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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International Nelson Mandela Day: 18 जुलाई को हर साल क्यों मनाते है ये दिन? जानिए क्या है इसका मकसद…

साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की गिनती उन लोगों में की जाती है जिन्होंने अपने कार्य और विचार से दुनिया के सामने मिसाल पेश की। हर साल उनके जम्नदिवस पर 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे मनाया जाता है।

दुनिया में कई ऐसे महान लोगों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने काम और विचारों से पूरी दुनिया के सामने एक खास मिसाल पेश की। वैसे तो ये लिस्ट बहुत लंबी है लेकिन इस लिस्ट में कुछ नाम ऐसे है जिन्हें पूरी दुनिया सलाम करती है।  आपको आज  हम जिस शख्सियत के बारे में बताने वाले है, उनका पूरी जिंदगी शांति और रंगभेद के खिलाफ ही समर्पित थी।
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हम साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की बात कर रहे हैं। आज 18 जुलाई को उनकी जंयती  है और इस दिन को हर साल नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे के तौर पर मनाया जाता है। नेल्संन मंडेला ने गांधी की विचारधारा यानि अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 
इंटरनेशनल नेल्सन मंडेला डे का इतिहास
18 जुलाई 2010 में सबसे पहले इंटरनेशनल नेल्सन मंडेला डे मनाया गया था। नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद के खिलाफ किए गए मंडेला के संघर्ष की याद में ही उनके जन्मदिवस को ‘मंडेला दिवस’ घोषित कर दिया था। तभी से आज तक इस दिन को इंटरनेशनल नेल्सन मंडेला डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
नेल्सन मंडेला का बचपन
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दक्षिण अफ्रीका में 18 जुलाई 1918 को नेल्सन मंडेला का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला था। जब वो काफी छोटे थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। मगर इन सबके बावजूद उन्होंने बहुत संघर्ष करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही उन्होंने रंगभेद देखा था। नौकरी के दौरान भी उनको काफी कुछ देखना पड़ा था इसलिए मंडेला ने अश्वेतों के खिलाफ हो रहे जुल्मों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का फैसला कर लिया था।
1944 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के सदस्य बने
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नेल्सन मंडेला साल 1944 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें 1947 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग के सचिव के तौर पर चुना गया। उसके बाद 1964 में नेल्सन मंडेला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए। हालांंकि साल 1990 में वो जेल से बरी हो गए थे।
साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति
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नेल्सन मंडेला के जेल से रिहा होने पर पूरे देश में जश्न का माहौल था। जेल में रहते हुए भी नेल्सन मंडेला की छवि लोगों के बीच एक ‘हीरो’ की बन चुकी थी। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला भारी मतों से साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। अंहिसा की विचारधारा और उनके कामों को देखकर उन्हें साउथ अफ्रीका का ‘गांधी’ भी कहा जाता है।
नेल्सन मंडेला पुरस्कार
नेल्सन मंडेला को उनके अच्छे कामों के लिए 250 से भी ज्यादा अवॉर्ड दिए गए थे। दिलचस्प बात ये है कि मंडेला वो पहले गैर भारतीय शख्स हैं जिन्हें भारत सरकार ने ‘भारत रत्न’ का सम्मान दिया था। वहीं साल 1993 में उन्हेंष नोबेल शांति पुरस्कातर से सम्मानित भी किया गया था।
नेल्सन मंडेला डे मनाने का कारण
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हर साल इंटरनेशनल नेल्सन मंडेला डे मनाने का मकसद लोगों को गरीबी से लड़ने, सांस्कृतिक विविधता और दुनिया भर में शांति एवं सुलह के लिए प्रोत्साहित करना है। सोशल जस्टिस के लिए मंडेला ने 67 साल तक लड़ाई लड़ी थी। यही वजह है कि इस दिन को 67 मिनट मंडेला दिवस के नाम से भी जाना जाता है। 

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