PM मोदी ने श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिलों के लिये सत्ता में भागदारी की हिमायत की - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

PM मोदी ने श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिलों के लिये सत्ता में भागदारी की हिमायत की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय सांस्कृतिक जुड़ाव को प्रगाढ़ करने की दिशा में बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को 1.5 करोड़ डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को श्रीलंका की नई सरकार द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के पूर्ण क्रियान्वयन पर जोर दिया जिससे अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की सत्ता में साझेदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने द्विपक्षीय बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिये द्वीपीय राष्ट्र को 1.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान की भी घोषणा की। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बीच द्विपक्षीय डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान यह मुद्दा उठा। अपने नए कार्यकाल में राजपक्षे ने पिछले महीने ही पदभार संभाला है। संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी को दो तिहाई से ज्यादा मत मिले थे। 
करीब एक घंटे तक चली वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने, नौवहन सुरक्षा संबंधों और बढ़ाने, व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने तथा कोलंबो बंदरगाह पर भारत और जापान की सहभागिता वाले ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) के क्रियान्वयन पर चर्चा की। 
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (हिंद महासागर क्षेत्र) अमित नारंग ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘राजपक्षे के साथ वार्ता में मोदी ने श्रीलंका के संविधान के 13 वें संशोधन को लागू करने पर जोर दिया और कहा कि शांति एवं सुलह की प्रक्रिया के लिये यह जरूरी है। ’’ 
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका की नई सरकार से एकीकृत श्रीलंका के तहत संवैधानिक प्रावधानों के क्रियान्वयन के माध्यम से आपसी सुलह हासिल करने तथा समानता, न्याय, शांति और गरिमा के साथ रहने की तमिलों की आकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। ” 
वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार राजपक्षे ने विश्वास प्रकट किया कि श्रीलंका जनादेश एवं संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सुलह हासिल करेगा और तमिलों समेत सभी जातीय समूहों की आकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में काम करेगा। 
श्रीलंका के संविधान का 13वां संशोधन द्वीपीय देश में तमिल समुदाय के लिये सत्ता में भागीदारी की बात करता है। भारत इसे लागू करने के लिये जोर देता रहा है जो 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया। 
वार्ता के दौरान भारत ने कोलंबो बंदरगाह पर ईसीटी परियोजना का मुद्दा भी उठाया क्योंकि क्रियान्वयन के समझौते पर लगभग हस्ताक्षर होने के बाद श्रीलंका की सरकार ने इसे रोक दिया था। 
भारत और जापान द्वारा क्रियान्वित की जा रही परियोजना के बारे में पूछे जाने पर नारंग ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद जताई कि नई सरकार इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये शीघ्र और निर्णायक कदम उठाएगी।” 
करीब एक घंटे तक चली शिखर वार्ता में मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि श्रीलंका सरकार द्वारा कुछ उत्पादों के निर्यात पर लगाई गई अस्थायी पाबंदी पर भी जल्द ही राहत दी जाएगी क्योंकि इससे द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और आम लोगों को भी फायदा होगा। 
संयुक्त बयान के अनुसार दोनों नेता आतंकवाद और मादक पदार्थो की तस्कररी के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर राजी हुए जिसमे खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान, कट्टरपंथ से लोगों को उबारने जैसी बातें शामिल हैं। 
संयुक्त बयान के अनुसार दोनों नेता बंदरगाह और ऊर्जा के क्षेत्रों समेत विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौतों और सहमति पत्रों के अनुसार बुनियादी ढांचों ओर कनेक्टिविटी परियोजनाओं को शीघ्र साकार करने पर सहमत हुए। 
नारंग ने बताया कि दोंनों पड़ोसियों के बीच सभ्यता एवं सांस्कृतिक धरोहर की कसौटी पर खरा उतरते हुए मोदी ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों को बढ़ावा देने के लिये 1.5 करोड़ रुपये की सहायता की भी घोषणा की। 
आर्थिक मुद्दों को और विस्तार से बताते हुए नारंग ने कहा कि भारत के कर्ज के भुगतान को टालने के श्रीलंका के अनुरोध को लेकर तकनीकी वार्ता चल जारी है। 
भारत ने पहले ही श्रीलंका की आर्थिक मदद के लिये 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा का भी विस्तार किया है। 
नारंग ने कहा कि दोनों नेताओं ने मछुआरों के मुद्दे पर भी अपने मत साझा किये और इस बात पर सहमति जताई कि मौजूदा ‘रचनात्मक और मानवीय’ रुख को और मजबूत किये जाने की जरूरत है जिससे मौजूदा द्विपक्षीय तंत्र के तहत इनका समाधान किया जा सके। 
उन्होंने कहा, “बातचीत मित्रतापूर्ण, खुले और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। इस शिखर वार्ता के नतीजे ठोस, अग्रोन्मुखी तथा द्विपक्षीय संबंधों का महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार करने वाले हैं।” 
नारंग ने कहा कि दोनों नेताओं ने नौवहन सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, कृषि, पशुपालन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रों में भी सहयोग और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। 
वार्ता के दौरान दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा क्षेत्र में संबंधों को गहरा बनाने के साथ कारोबार एवं निवेश के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा की । 
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ द्विपक्षीय संबंध, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने सहित विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की तथा रक्षा सहयोग की प्रगाढ़ता पर संतोष व्यक्त किया, एवं आगे समुद्री सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जतायी । 
डिजिटल द्विपक्षीय शिखर-वार्ता में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि श्रीलंका में राजपक्षे सरकार की नीतियों के आधार पर चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी की बड़ी जीत दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहन बनाएगी। 
उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव में आपकी पार्टी की विजय के बाद भारत-श्रीलंका के संबंधों में एक नये अध्याय की शुरुआत का अवसर आया है। दोनों देशों के लोग नयी उम्मीद और अपेक्षाओं के साथ हमें देख रहे हैं।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × 3 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।