पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पितृ पक्ष भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को शुरु हो चुके हैं। पूर्णिमा श्राद्ध आज है। परिजनों का श्राद्ध और तर्पण पितृ पक्ष में करते हैं। पितरों का श्राद्ध नदि या तालाब के पास जाकर किया जाता है लेकिन कोरोना का संकट इस साल है जिसकी वजह से नदि या तालाब के पास पितरों के श्राद्ध नहीं कर पाएंगे।
इसके चलते पितरों का श्राद्ध इस साल आपको अपने घरों में ही करना होगा। ग्रंथों के अनुुसार, अपने वंशजों को मृत्युलोग में पितृ देखने के लिए पितृपक्ष शुरु होते ही आ जाते हैं और तर्पण को ग्रहण करके लौट जाते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण,पिंडदान,ब्राह्मण भोजन और अन्य सभी दान इन दिनों करते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि घर पर इन आसान तरीकों से श्राद्ध करें।
सूर्योदय से पहले श्राद्ध वाले दिन उठें और स्नान कर लें। फिर कुछ भी श्राद्ध पूरा होने तक ना खाएं। इस दौरान पानी आप पी सकते हैं। हालांकि श्राद्ध दोपहर को 12 बजे करते हैं।
इसके बाद बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीकाकर दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बैठें।
फिर पितरों के लिए भोजन शुद्ध होकर महिलाएं बनाएं।
उसके बाद जौ, तिल,चावल, गाया का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी फिर तांबे के एक चौड़े से बर्तन में डाल लें।
इसके बाद अग्नि में खीर पितरों के लिए अर्पण करें। फिर देवता,गाय, कुत्ते, कौए और चींटी यानी पंचबलि के लए अलग से भोजन की सामग्री निकालें।
फिर भोजन ब्राह्मण को करवाएं साथ ही दक्षिणा और अन्य सामग्री श्रद्धा के अनुसार उन्हें दान में दें।
पुत्र ही पिता के लिए पिण्ड दान और जल-तर्पण करता है। अगर पुत्र नहीं है तो पत्नी कर सकती है। अगर पुत्र नहीं है तो पत्नी का सगा भाई श्राद्ध कर सकता है।