भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में यथास्थिति बदलने के लिए चीनी सेना द्वारा की जा रही घुसपैठ को नाकाम कर दिया। हालांकि दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों के हताहत होने की अब तक कोई पुष्टि नहीं है। वहीं मुद्दे को हल करने के लिए चुशुल में एक ब्रिगेड कमांडर-स्तर की मीटिंग चल रही है। इस बीच एलएसी पर हुए इस झड़प को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान आया है।
चीन ने घुसपैठ को फिर से छुपाने की कोशिश की
चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे तरफ से एलएसी (लाइन ऑफ एक्शन कंट्रोल) को पार नहीं की गयी है। उन्होंने घुसपैठ की इस बात मानने से इनकार कर दिया है और अपनी घुसपैठी को छुपाने की कोशिश की है। मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच एलएसी विवाद को लेकर बातचीत जारी है।
पीएलए के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया
बता दें कि यह घटना शनिवार और रविवार की रात की है। अब चीन और भारत पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता में लगे हुए हैं। भारतीय सेना द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि 29 अगस्त और 30 अगस्त, 2020 की रात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पिछली आम सहमति का उल्लंघन किया और उसने यथास्थिति को बदलने के लिए सैन्य घुसपैठ भी की।
भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास पीएलए की गतिविधि को कर दिया नाकाम
सेना ने कहा, “भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास पीएलए की गतिविधि को नाकाम कर दिया। साथ ही हमारी स्थिति मजबूत करने और चीनी इरादों को विफल करने के लिए भी उपाय किए।” भारतीय सेना ने यह भी कहा कि वे बातचीत के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी वे समान रूप से हैं।वहीं, चीन ने पैंगोंग सो के उत्तर में अपनी वर्तमान सैन्य स्थिति से पीछे हटने से इनकार कर दिया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग चार महीने से बना हुआ गतिरोध
साथ ही पैंगॉन्ग सो में चीन ने फिंगर -5 और 8 के बीच अपनी स्थिति को मजबूत किया है। जबकि पीएलए मई के शुरूआत से ही फिंगर -4 से लेकर फिंगर -8 तक के कब्जे वाले 8 किलोमीटर के क्षेत्र में पीछे हटने से इनकार कर चुका है। जबकि भारत ने चीन से कहा है कि वह पैंगोंग सो से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटा ले। दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग चार महीने से गतिरोध बना हुआ है। कई स्तरों की बाचतीच के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली और अब भी यहां गतिरोध जारी है।
चीनी सैनिक डेपसांग में भी मौजूद
भारत को यह भी पता चला है कि चीनी पक्ष ने एलएसी – पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) के तीन क्षेत्रों में सेना, तोपखाने और ऑर्मर का निर्माण शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख र्दे के पास भी अपने सैनिक इकट्ठे कर लिए हैं, जो कि भारत, नेपाल और चीन के बीच कालापानी घाटी में स्थित है। भारत ने चीन से पैंगोंग झील और गोगरा से सेनाएं हटाने का आग्रह किया था, जो उसने अब तक नहीं माना है। चीनी सैनिक डेपसांग में भी मौजूद हैं।
गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए थे 20 भारतीय सैनिक
चीन ने एलएसी पर विभिन्न स्थानों पर स्थिति बदली है और वह भारतीय क्षेत्र के अंदर की ओर बढ़ रहा है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और इस मामले को सभी स्तरों पर उठा रहा है। इससे पहले 15 जून को, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने अपने हताहतों की संख्या नहीं बताई है। चीनी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर और विशेष रूप से गलवान घाटी में 5 मई से ही चढ़ाई करनी शुरू कर दी थी।