नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने ओखला के जामिया नगर स्थित मुस्लिम बहुल मोहल्ले शाहीन बाग की महिलाओं द्वारा कालिंदी कुंज-नोएडा मार्ग पर सीएए-एनआरसी के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शन को अधिकृत विरोध क्षेत्र में स्थानांतरित करने की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया है। जिससे इस मार्ग के अभी खुलने के आसार नहीं है। यह आवेदन दिल्ली में रहने वाले छात्रों तुषार सहदेव व रमन कालरा ने दिया था। चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस सी. हरिशंकर की बेंच ने बस सिर हिलाया और आवेदन को कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
तुषार सहदेव और रमन कालरा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि दिल्ली से यूपी, दिल्ली से उत्तराखंड, दिल्ली से नोएडा अस्पतालों, आश्रम और बदरपुर तक के मार्ग इस प्रदर्शन के कारण उपयोग में नहीं हैं, क्योंकि शाहीन बाग के आस-पास की सड़कें अवरुद्ध हैं और वाहनों का मार्ग परिवर्तित कर डीएनडी फ्लाईओवर की तरफ कर दिया गया है। पत्र में कहा गया कि लाखों लोग सड़कें अवरुद्ध होने के कारण परेशान हैं।
यह आपात स्थिति में फंसे लोगों के लिए भी एक समस्या है। शाहीन बाग की ओर से नोएडा, आश्रम, अपोलो अस्पताल और बदरपुर जाने वाले विभिन्न मार्ग बैरिकेटिंग के कारण पूरी तरह से अनुपलब्ध हो गए हैं। आवेदन में कहा गया कि 14 दिसंबर, 2019 से शुरू हुआ प्रदर्शन कई लाख वाहनों को प्रभावित कर रहा है जिन्हें इस मार्ग से नहीं गुजरने दिया जा रहा है। इसमें दावा किया गया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर अवरोधक और सड़कों के किनारे भारी पत्थर लगा दिए हैं और पैदल यात्रियों को भी यहां से गुजरने नहीं दिया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़क डिवाइडरों और सड़कों पर मौजूद अन्य सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा है। इसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि इन प्रदर्शनों को अधिकृत प्रदर्शन इलाकों में करने के लिए कहा जाए और वह भी बिना संपत्ति को नुकसान पहुंचाए। अदालत से अपील की गई थी कि वह लोगों के लिए मार्गों के इस्तेमाल को सुगम बनाने के लिए अवरोधकों को हटाने का निर्देश दे।
बता दें कि सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाओं और बच्चों समेत हजारों लोग कालिंदी कुंज मार्ग पर महीने भर से प्रदर्शन कर रहे हैं। सर्दी-बारिश में भी प्रदर्शनकारी सड़क पर डटे हैं। सड़क पर ही सभी का खाना-पीना, चाय-पानी चलता रहता है और छोटे बच्चों को गर्म दूध पीने के लिए दिया जा रहा है। जामिया मिलिया इस्लामिया, डीयू और जेएनयू के छात्र भी महिलाओं के इस प्रदर्शन को समर्थन व सहयोग दे रहे हैं। और वह यहां से किसी भी सूरत में हटने को तैयार नहीं है।